मुख्य बिंदु
- लेंडर स्व-व्यवसायी लोगों की जरूरतों के हिसाब से बनाए गए होम ऑफर करते हैं.
- पेशेवर (डॉक्टर, वकील आदि) और गैर-पेशेवर (व्यापारी आदि) स्व-व्यवसायी व्यक्ति होम लोन ले सकते हैं.
- लोन पात्रता तय करने के लिए लेंडर बिजनेस के टैक्स रिटर्न और प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट स्टेटमेंट तथा बैलेंस शीट का आकलन करते हैं.
- स्व-व्यवसायी व्यक्तियों को होम लोन के रीपेमेंट पर टैक्स लाभ मिलते हैं.
- आप कोई वेतनभोगी को-एप्लीकेंट जोड़ सकते हैं.
मशहूर अंग्रेजी उपन्यासकार जेन ऑस्टेन ने एक बार कहा था, ‘घर पर रहने जैसा असल आराम और कहीं नहीं है.’ यह बात बिल्कुल सच है. हम सब की यह अभिलाषा होती है कि हमारा अपना एक घर हो, पर घर खरीदने के लिए बहुत बड़ी मात्रा में धन चाहिए होता है और बहुत कम लोग यह पूरी रकम एक साथ देकर घर खरीदने की क्षमता रखते हैं. यहीं आकर लेंडिंग कंपनियों की उपयोगिता समझ में आती है. वे आपको आपके घर की फंडिंग के लिए ज़रूरी रकम देकर आपका सपना साकार करती हैं और वह रकम आपको 20-30 साल की लंबी अवधि के दौरान ठीक-ठाक सी किश्तों में चुकानी होती है.
स्व-व्यवसायी हैं? आप भी पात्र हैं
स्व-व्यवसायी उद्यमियों को उतनी ही आसानी से होम लोन मिल सकते हैं, जितनी आसानी से वेतनभोगियों या नियमित इनकम वालों को मिलते हैं. लेंडर्स ने स्व-व्यवसायी लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, उनके हिसाब से होम लोन प्रोडक्ट तैयार किए हैं.
आमतौर पर स्व-व्यवसायी व्यक्तियों की दो श्रेणियां होती हैं: पेशेवर और गैर-पेशेवर.
- प्रोफेशनल में ऐसे डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, CA, MBA आदि शामिल हैं, जो अपने क्षेत्र में शैक्षिक योग्यता रखते हैं और उन्होंने अपना खुद का बिज़नेस स्थापित किया हुआ है.
- स्व-व्यवसायी नॉन-प्रोफेशनल में ऐसे व्यापारी, ठेकेदार, कमीशन एजेंट आदि आते हैं, जो अपने बिज़नेस क्षेत्र में शैक्षिक दृष्टि से योग्य नहीं होते हैं.
अप्लाई करने के लिए पात्रता
स्व-व्यवसायी व्यक्ति अकेले, या संयुक्त रूप से, होम लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. हालांकि प्रॉपर्टी के सभी प्रस्तावित स्वामियों को को-एप्लीकेंट बनना होता है, पर जरूरी नहीं कि सभी को-एप्लीकेंट, को-ओनर (सह-स्वामी) भी हों. आमतौर पर नजदीकी परिजन को-एप्लीकेंट होते हैं.
लेंडर जिन मुख्य बातों को ध्यान में रखता है वे इस प्रकार हैं:
इसके लिए, लेंडर बिजनेस के 3 साल के IT रिटर्न, और कम-से-कम 2 साल के ऑडिट किए हुए प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट स्टेटमेंट तथा बैलेंस शीट की मांग करते हैं.
लेंडर निम्नलिखित मानदण्डों के आधार पर किसी व्यक्ति की होम लोन एप्लीकेशन को आंकता है:
- एप्लिकेंट की आयु:आपकी उम्र जितनी कम होगी, आपके पास अपना लोन चुकाने का उतना ही ज़्यादा समय होगा और इसलिए आप उतनी ही ज़्यादा लंबी अवधि के होम लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. ज़्यादा उम्र वाले एप्लीकेंट को घर खरीदने के लिए ज़्यादा डाउन पेमेंट करना पड़ सकता है.
- शैक्षिक योग्यताएं: कुछ लेंडर, कस्टमर की पात्रता आंकने के लिए शैक्षिक योग्यताओं को एक पैरामीटर के तौर पर उपयोग करते हैं.
- आश्रितों की संख्या: उपयोग-योग्य इनकम, एप्लीकेंट की होम लोन चुकाने की क्षमता को आंकने का एक महत्वपूर्ण कारक होती है. यह माना जाता है कि आश्रितों की संख्या जितनी अधिक होती है, एप्लीकेंट की उपयोग-योग्य इनकम उतनी ही कम होगी, इसी प्रकार, आश्रित जितने कम होंगे, उपयोग-योग्य इनकम उतनी ही अधिक होगी.
लोन चुकाने की आपकी क्षमता आपकी संपूर्ण फाइनेंशियल स्थिति पर निर्भर होती है. लेंडर आपके मौजूदा लोन, जैसे क्रेडिट कार्ड बिल, पर्सनल लोन, कोई अन्य होम लोन आदि को आंकता है. आपका मौजूदा कर्ज़ जितना कम होगा, आपका होम लोन मंजूर होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी.
चूंकि आप स्व-व्यवसायी हैं, अतः इनकम उत्पन्न कर सकने की आपकी क्षमता एक महत्वपूर्ण घटक है. लेंडर आपके उपक्रम की लाभप्रदता देखता है और साथ ही वह यह भी देखता है कि आप कितने सालों से बिज़नेस को सफलतापूर्वक चला रहे हैं. यदि आप कुछ ऐसे डॉक्यूमेंट दे सकें जिन से यह स्पष्ट होता हो कि बिज़नेस को किन-किन संकटों का सामना करना पड़ सकता है, तो इससे भी लोन में मदद मिलती है. लेंडर इन सभी घटकों (जिनमें आपकी संपूर्ण फाइनेंशियल स्थिति और उद्यमिता क्षमता शामिल हैं) को आपके ऑडिट किए हुए फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट और IT रिटर्न से आंकता है. सुनिश्चित करें कि आपकी अकाउंटिंग बुक और टैक्स रिटर्न अप-टू-डेट हों.
आवश्यक डॉक्यूमेंट
लोन की मंजूरी के लिए सभी एप्लीकेंट/को-एप्लीकेंट को हस्ताक्षरित एप्लीकेशन के साथ निम्नलिखित महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट जमा करने होंगे:
- पहचान का प्रमाण (पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र या आधार कार्ड की कॉपी)
- निवास का प्रमाण (पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र, बैंक अकाउंट स्टेटमेंट, प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें, यूटिलिटी (बिजली, पानी, फोन आदि के) बिल)
- आय का प्रमाण (IT रिटर्न, PAN कार्ड, TAN कार्ड, करंट अकाउंट स्टेटमेंट)
- ऑडिट की हुई प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट और बैलेंस शीट
- प्रॉपर्टी खरीद एग्रीमेंट की कॉपी
नियम व शर्तें
होम लोन के संबंध में स्व-व्यवसायी एप्लीकेंट्स पर निम्नलिखित नियम व शर्तें लागू होती हैं:
एडजस्टेबल दर के तहत होम लोन की अधिकतम अवधि 30 साल तक की हो सकती है. फिक्स दर वाले होम लोन के मामले में अधिकतम अवधि 20 साल की होती है.
लेंडर कितनी राशि का लोन मंजूर करता है यह बात कई चीजों पर निर्भर करती है, जैसे कस्टमर की रीपेमेंट क्षमता, उम्र आदि. नीचे वह अधिकतम राशि दी जा रही है जिसकी पेशकश लेंडर द्वारा प्रॉपर्टी की कीमत के आधार पर की जाएगी:
- प्रॉपर्टी की कीमत का 90 प्रतिशत - लोन की राशि ₹30 लाख तक
- प्रॉपर्टी की कीमत का 80 प्रतिशत - लोन की राशि ₹30.01 लाख से ₹75 लाख तक
- प्रॉपर्टी की कीमत का 75 प्रतिशत - लोन की राशि ₹75 लाख से अधिक
लेंडर दो तरह की ब्याज दर ऑफर करते हैं - फिक्स्ड रेट (निश्चित दर) और एडजस्टेबल रेट (घटने-बढ़ने वाली दर).
- एडजस्टेबल रेट होम लोन:इसमें ब्याज दर लेंडर के बेंचमार्क या रिटेल प्राइम लेंडिंग रेट (RPLR) से जुड़ी होती है. RPLR में कोई भी बदलाव होने की स्थिति में यह दर हर में तिमाही संशोधित की जाती है. अगर ब्याज दर बदलती है, तो इससे आमतौर पर आपके होम लोन की अवधि में बदलाव होता है, और EMI में बदलाव हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है.
- फिक्स्ड रेट वाले होम लोन:इसमें ब्याज दर वही रहती है जो लोन डिस्बर्समेंट के समय तय की गई होती है. हालांकि, यह 2/3/10 साल की एक तय अवधि के लिए फिक्स रहती है, जिसके बाद यह अपने-आप एडजस्टेबल रेट में बदल जाती है.
कुछ लेंडर कस्टमर को कुछ स्थितियों के आधार पर फिक्स्ड और एडजस्टेबल रेट में अदल-बदल करने की सुविधा देते हैं.
पुनर्भुगतान विकल्प
लेंडर निम्नलिखित होम लोन रीपेमेंट विकल्प प्रदान करते हैं:
यदि आप कोई निर्माणाधीन प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो होम लोन की पूरी राशि डिस्बर्स होने के बाद ही EMI शुरू होती हैं. तब तक, आपके पास तब तक ली गई राशि पर केवल ब्याज चुकाने, और लोन की पूरी राशि डिस्बर्स हो जाने के बाद EMI चुकाना शुरू करने का विकल्प होता है.
इस विकल्प में आप अपनी इनकम बढ़ने के साथ-साथ EMI भुगतान बढ़ा सकते हैं, जिससे लोन का रीपेमेंट ज्यादा तेजी से हो जाता है.
इस विकल्प से आप अवधि को 30 साल तक बढ़ा सकते हैं, जिससे या तो आप अपनी पात्र लोन राशि बढ़ा सकते हैं या फिर EMI की राशि घटा सकते हैं
स्व-व्यवसायी व्यक्तियों के लिए होम लोन के बारे में कुछ मुख्य बिंदु
होम लोन कैसे प्राप्त किया जाए, विशेष रूप से स्व-व्यवसायी लोगों द्वारा होम लोन कैसे प्राप्त किया जाए, इस बारे में ध्यान रखने लायक कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
- स्व-व्यवसायी एप्लीकेंट्स की होम लोन एप्लीकेशन की प्रोसेसिंग के लिए लेंडर खास मूल्यांकन विधियां प्रयोग करते हैं. लेंडर उपयुक्त डॉक्यूमेंट, जैसे ऑडिट की हुई बैलेंस शीट और प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट, पर जोर देते हैं. इससे लेंडर को इस बात का एक उचित अनुमान मिल जाता है कि बिजनेस कैसा प्रदर्शन कर रहा है.
- होम लोन मंजूर करते समय
लेंडर आपके नेट प्रॉफिट (डेप्रिशिएशन, डिप्लीशन आदि एडजस्ट करने के बाद) पर विचार करते हैं. - अपने इनकम टैक्स रिटर्न नियमित रूप से और समय पर फाइल करें. आमतौर पर लेंडर पिछले दो साल के IT रिटर्न जांचते हैं. .
- आपको हाउसिंग लोन के मूलधन की रीपेमेंट और ब्याज के भुगतान, दोनों पर टैक्स लाभ मिलते हैं.
- लेंडर से आपको सकारात्मक प्रतिक्रिया मिले, यह पक्का करने के लिए होम लोन के लिए तब अप्लाई करें जब आपका बिजनेस अच्छा चल रहा हो.
- आपको हाउसिंग लोन के मूलधन की रीपेमेंट और ब्याज के भुगतान, दोनों पर टैक्स लाभ मिलते हैं.
- ज्यादा डाउन पेमेंट की पेशकश करने वाले और अच्छे क्रेडिट स्कोर वाले एप्लीकेंट को लेंडर बेहतर मानते हैं.
- आप अपने लोन के लिए अपने साथ कोई वेतनभोगी को-एप्लीकेंट (जैसे आपका वेतनभोगी जीवनसाथी) जोड़ सकते हैं.
- होम लोन के लिए अप्लाई करने को लेकर स्थान कोई बाधा नहीं होता है. यह संभव है कि आप एक जगह रहते हों, किसी दूसरी जगह प्रॉपर्टी खरीदें, और लोन किसी तीसरी जगह से चुकाएं.
- आप प्रॉपर्टी की खरीद को फाइनलाइज़ करने से पहले भी अपनी होम लोन की पात्रता को जान सकते हैं और होम लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं.
- यदि आप अपने पेशे के कारण अत्यंत व्यस्त रहते हैं, तो लेंडर आपको आपके घर पर आकर सहायता देने की सुविधा देते हैं.
- फ्लोटिंग या एडजस्टेबल रेट वाले होम लोन के तहत की गई आंशिक या पूर्ण प्रीपेमेंट पर कोई प्रीपेमेंट चार्ज नहीं लिया जाता.
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