जब पद्मा और उसके परिवार ने अपने पुराने घर से बस कुछ ही मिनटों की दूरी पर स्थित एक बड़ा घर लिया, तो उन्होंने अपना सारा सामान पुराने घर में ही छोड़ दिया और अब उनके सामने अपने नए घर को बिल्कुल नए सिरे से व्यवस्थित करने का काम था. अपने इस बड़े और पहले से ज्यादा जगमग घर को व्यवस्थित करने के लिए परिवार की आदतों और हर सदस्य की पसंद-नापसंद को ध्यान में रखा गया.
मेरे पति का जन्म और लालन-पालन दादर, मुंबई के शिवाजी पार्क में हुआ है. उस जगह से बेहद जुड़ाव होने के कारण, हमें पता था कि हमें यहीं पर - मुंबई के बीचोबीच एक घर चाहिए होगा. तभी हमें पता चला कि बगल वाली इमारत, जो एक चॉल थी, उसे दोबारा बनाया जाना था, तो हमने वहां फ़्लैट खरीदने का मौका हाथोंहाथ लपक लिया! आखिरकार, वह जगह स्कूलों, अस्पतालों और दादर को शहर के हर कोने से जोड़ने वाले रेलवे स्टेशन के बेहद करीब जो थी.
वैसे तो हम 2BHK ढूंढ रहे थे, पर वहां केवल एक 3BHK उपलब्ध था. तो हमने ज्यादा सोचा नहीं और उसे बुक कर लिया क्योंकि हमारे दो बच्चे हैं, दो कुत्ते हैं, और मेरी सास भी हमारे साथ ही रहती हैं, इसलिए जगह जितनी ज्यादा हो उतना ही अच्छा है, खासकर मुंबई में.
7 सालों के इंतजार के बाद हमने अपने सपनों के घर में कदम रखा! हमने 2010 में घर बुक किया था, पर निर्माण कार्य कछुए की गति से चल रहा था और 2017 में जाकर हमें कब्जा मिला. जब आखिरकार हम अपने नए घर में पहुंचे, तो हम अपने पुराने घर से कुछ भी नहीं लेकर गए, एक भी चीज़ नहीं - और हमने सब कुछ नया खरीदा, नए बर्तनों से लेकर घर के सभी उपकरणों तक.
पद्मा और परिवार के नए घर का प्रवेश द्वार
हमने अपने घर की डिज़ाइन बनाने में 2 महीनों का समय लगाया, और आर्किटेक्ट को, घर के बारे में हमारी पसंद और अपेक्षाओं की एक विस्तृत योजना बनाकर दी. हम घर में कुच संरचनात्मक परिवर्तन करना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका, और हमें पूरी योजना फिर से बनानी पड़ी. कुछ महीनों तक यही चलता रहा, और अंत में, अप्रेल 2017 में काम शुरू हो गया. सब कुछ बहुत जल्दी और अच्छे तरीके से हुआ, अगस्त में हम शिफ्ट हो गए.
सबसे पहले हम अपने लिविंग रूम की फ्लोरिंग बदल कर इसमें मार्बल की टाइलें लगाना चाहते थे. मैंने पहले ही तय कर लिया था कि घर का निर्माण पूरी तरह से ग्रे और सफेद रंगों के संयोजन से होगा, और हमारी होम डेकोर योजनाएं भी इसी के इर्द-गिर्द घूमती थी. आपके घर के लिए मार्बल का चुनाव करना कोई आसान काम नहीं है - लेकिन जब घर पूरा बन गया, और यह खूबसूरती से बना तो मेरी संतुष्टि और खुशी का ठिकाना न रहा. हर कमरे में हमने, रंगीन कुशन लगाए और इन्हें जीवंत बना दिया.
मेरी बेटी का कमरा घर के कोने में बना है, हमने इसमें सबसे गहरे रंगों का इस्तेमाल किया है. इस कमरे को अनूठा रूप देने के लिए, हरे और ग्रे रंगों के साथ, बेटी की पसंद के अनुसार लाइट इफेक्ट और चमकीले लेमीनेट का उपयोग किया गया है. इस कमरे में, दो बालकनियां हैं, और एक बालकनी में हमने एक उर्ध्वाकार बगीचा लगाया है - इसमें हम सब्जियां उगाते हैं.
पद्मा की बेटी का कमरा, जिस में उसका पसंदीदा रंग, ब्राइट ग्रीन किया गया है
पद्मा की बेटी के कमरे का हर हिस्सा ग्रीन रंग के इर्द-गिर्द केंद्रित है
वर्टिकल गार्डन
मेरे बेटे का कमरा ऑरेंज और ग्रे है - और मेरी बेटी के कमरे के विपरीत, यहां ऑरेंज पर मैट फिनिश है ताकि वह भड़कीला न दिखे. उसे पढ़ने का बेहद शौक है, इसलिए हमने यहां एक बुक शेल्फ लगवाई है और वह अपना सारा खाली समय पढ़ते हुए गुजारता है.
पद्मा के बेटे का कमरा - ग्रे और ऑरेंज की शेड में, और साथ में उसके द्वारा डिज़ाइन की गई बुकशेल्फ
हमने सोचा कि पूजाघर कहां होगा, और काफी बातचीत के बाद हमने उसके लिए लिविंग रूम का एक कोना तय किया. यह फैसला काफी अच्छा रहा क्योंकि हमारा पूजाघर उस जगह के बिल्कुल बगल में है जहां हम गणेश चतुर्थी पर गणपति की स्थापना करते हैं. वहीं एक फोल्डिंग टेबल लगी हुई है जिस पर हम प्रसाद रखते हैं. हालांकि इन कई बारीकियों से हमारी डिज़ाइनर सहमत नहीं थी, पर मैं अपनी बात पर दृढ़ थी कि मुझे क्या चाहिए.
पूजा घर
जब बात आई घर के लिए रंग चुनने की, तो मैंने मेरे डिज़ाइनर से विकल्प मांगे. उसने मुझे ब्लू का एक शेड दिखाया जो मुझे तुरंत पसंद आ गया और मैंने उसे मेरे किचन के लिए चुन लिया, खासतौर पर इसलिए क्योंकि हमने किसी भी दूसरे कमरे में ब्लू का इस्तेमाल नहीं किया था.
यह आकर्षक और भरपूर जगह वाला किचन इस तरह व्यवस्थित है जिससे 6 लोगों के परिवार के लिए खाना बनाने का काम आसान हो जाता है
पद्मा के घर का किचन, उसके चुने हुए ब्लू रंग में
मैंने सजावट का अधिकतर काम मेरे डिज़ाइनर पर छोड़ दिया था, पर उसमें मेरा ठीक-ठाक सा योगदान रहा है. उदाहरण के तौर पर, मैंने बुकशेल्फ, मंदिर, और मेरी बेटी के कमरे के कॉर्नर पीस को डिज़ाइन किया है. और असल में, लगभग हर चीज, टाइल से लेकर सजावट और बिजली के उपकरणों तक, यहीं मुंबई से ही खरीदी गई है.
हम हमेशा से फर्श पर बैठकर ही खाना खाते आए हैं, और इसलिए हमें डाइनिंग के लिए अलग से जगह की कोई जरूरत महसूस नहीं हुई. वैसे तो पुराने वाले घर में एक डाइनिंग रूम था, पर उसे कभी कोई इस्तेमाल ही नहीं करता था. लिविंग रूम में जो बड़ी सेंटर टेबल है उसी के चारों ओर हम लोग बैठ जाते हैं और TV देखते हुए खाना खाते हैं. वीक-डे पर हर कोई अपनी दिनचर्या के अनुसार अलग-अलग समय पर खाना खाता है, पर रविवार को पूरा परिवार एक साथ बैठकर लंच का मजा लेता है.
चमक और आकर्षण के लिए मार्बल टाइल, ग्रे और वाइट रंग और रंग-बिरंगे कुशन वाला फैमिली रूम
परिवार लिविंग रूम में फर्श पर बैठकर खाना खाता है - और इस जगह को यह बात ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है
घर खरीदना, उसे रेनोवेट करवाना और सजाना सच में एक पहाड़ जैसा काम था, पर हमें यहां बिताए समय, हमारी इस जगह, और निश्चित रूप से, इससे मिलने वाले आराम से आनंद मिलता है!
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