अधिकतर लोग अपना कलेक्शन दिखाने के लिए लिविंग रूम का बस एक छोटा सा कोना निर्धारित करते हैं, पर बड़ोदा स्थित स्वाति त्रिवेदी का पूरा घर ही 22 सालों में इकट्ठी की गईं दुर्लभ, सांस्कृतिक कलाकृतियों का शोकेस है
बारीक कारीगरी वाले सुनहरे गोल्डन बुद्धा, जयपुर के एक कारीगर की बनाई हुई गौरैया की मूर्ति - मैंने अपने घर को छोटी-बड़ी हर तरह की कलाकृतियों से भर रखा है; इनसे मुझे बहुत आनंद मिलता है. मैंने पूरी जिंदगी खूबसूरत चीजें इकट्ठा की हैं, और जब हमने अपने घर के इंटीरियर पर काम करना शुरू किया तो मुझे पता था कि वे चीजें ही यहां की हाइलाइट होंगी.
मैं आठ साल की थी जब मुझे आकर्षक गृह सज्जा से अपने प्यार का पता चला. ऐसा उन चमकदार कैटलॉग के कारण था जो मेरे पिता उस पेंट कंपनी से घर लाते थे जहां वे काम करते थे. हालांकि वे कैटलॉग पेंट की हुई दीवारें दिखाने के लिए थे, पर मैंने लाइटिंग को, टेक्सचर को, और सबसे महत्वपूर्ण, रंगों को उभारकर दिखाने वाली छोटी-छोटी कलाकृतियों को ध्यान से पढ़ा. मेरा दिल वैसा ही एक घर चाहता था जैसे घर उन तस्वीरों में दिखाए जाते थे. उन दिनों, शाही दिखने वाली मेटल की चीजें, विदेशी प्राचीन शहरों से आईं हाथ से बनी पोर्सलीन की शानदार चीजें, और उन सब को लकड़ी और कांच के एक आलीशान चित्रपट के बीच बिल्कुल ठीक से सेट किया गया हो, ये सब कुछ किसी परीकथा के महल जैसा लगता था.
स्वाति त्रिवेदी का ड्रॉइंग रूम जो महीन हस्तशिल्प और सांस्कृतिक कलाकृतियों से सजा है, उन परीकथाओं के महलों की आभा देता है जिनके जैसे घर का सपना स्वाति देखती थीं
अपने पैतृक घर में बड़े होने के दौरान, जब भी मैं किसी स्थानीय दुकान में या किसी दूसरे शहर की यात्रा पर जाती थी और कोई कलाकृति मुझे भा जाती थी तो मैं उसे अपने कलेक्शन में शामिल कर लेती थी. धीरे-धीरे गृह सज्जा में मेरी रुचि बढ़ने लगी, मेरी आंखें सिर्फ अखबारों में छपे चित्र ही नहीं, बल्कि अब इंटीरियर डेकोरेशन की पत्रिकाओं के पन्ने भी निहारने लगीं. सालों तक मैंने जो कतरनें बचाकर रखीं थीं वे अपना खुद का घर सजाते समय मेरी प्रेरणा बनीं. पिछले 22 सालों में मैंने पीतल की सांस्कृतिक चीजों, बेहतरीन पात्रों, और सिरेमिक की चीजों का इतना बड़ा कलेक्शन बना लिया है कि मेरे पति मुझे चिढ़ाते हुए कहते कि उनसे तो एक पूरा एम्पोरियम भर जाएगा. मैं भी उन्हें चिढ़ाते हुए कहती, “पर मैं हर चीज को एम्पोरियम से कहीं बेहतर ढंग से प्रदर्शित करूंगी.” और मैंने ऐसा ही किया, जब मैं अपने घर में आई.
होम डिस्प्ले प्रोजेक्ट
मैं जानती थी कि मैं हर कलाकृति के लिए खुद जगह बनाने की चुनौती स्वीकारना चाहती थी. इसीलिए मैंने इंटीरियर डेकोरेटर को यह काम नहीं सौंपा. भगवान का शुक्र है कि हमने जो कारपेंटर और इलेक्ट्रीशियन काम पर रखे वे मेरे विचारों को साकार करने के मामले में बढ़िया थे. मुझे शेल्फ जैसी चाहिए थी मैंने उसका एक वैसा ही स्केच बना दिया, और दोनों कारीगर डिज़ाइन और LED लाइटिंग के काम पर लग गए. 20 दिनों में बनकर तैयार हुई यह शेल्फ पूरी दीवार जितनी लंबी है और मेरे एंट्रेंस एरिया और ड्रॉइंग रूम के बीच एक खूबसूरत पार्टीशन का काम करती है.
इस बड़ी सी, हाथ से बनी पार्टीशन वॉल में स्वाति की कलेक्शन के सबसे बेशकीमती खजाने मौजूद हैं. सबसे ऊपर वाली शेल्फ पर नाहर से लाए गए बड़े, पेंट किए हुए पीतल के पात्र उनकी पसंदीदा चीजों में से एक हैं
ऊपर से घड़ी के घूमने की दिशा में: आलीशान दिखने वाली, लकड़ी की स्टडी टेबल खूबसूरत पात्रों के लिए एक बिल्कुल सही शोकेस का भी काम करती है. पीतल की चीजें घर के मटियाले और साधारण एहसास को पूरा करते हैं. बालकनी में रखे पात्रों में लगे पौधे, पीतल की चमक को उभारते हैं.
कलेक्शन
सोच-समझकर लगाई गई लाइटिंग मेटल की चीजों के इस डिस्प्ले को गर्मजोशी और गहराई देती है
रूप और उपयोगिता: पैंट्री शेल्फ में मेसन जार और पोर्सलीन कंटेनर के बगल में जयपुर से लाए गए नीले पात्र, ये सब मिलकर एक अजब-अनोखी सजावट पैदा करते हैं
मेरे कलेक्शन की हर कलाकृति को या तो मैंने दुर्लभ दुकानों में जाकर ढूंढा है या फिर मेरे प्रियजनों ने सफर से लौटकर मुझे उपहार में दिया है, कुछ इस तरह एक-एक करके बड़े प्यार से मेरा यह कलेक्शन बना है. मिसाल के तौर पर, सारे नीले पात्र जयपुर से हैं, वहीं तीन बड़े पीतल के पात्रों का सेट जो ड्रॉइंग रूम डिस्प्ले में रखा है, वह नाहर नामक कस्बे से है. कुछ कलाकृतियां तो मुझे मेरी सास से विरासत में मिली हैं; उनकी पसंद भी मेरे जैसी ही है.
बालकनी गार्डन में हाथ से बने हिरन वाले गमले बड़ोदा की चावला पॉटरी नामक वर्कशॉप से हैं. इनकी खूबसूरती को पूरा करता है लकड़ी का यह लट्ठा जिस पर चिड़ियों की मूर्तियां हैं; इसे कामती गार्डन नामक म्युनिसिपल गार्डन के स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाया गया है
हर कलाकृति को सोच-विचार कर उसकी जगह दी गई है, ताकि वह उस मूड से मेल खाए जो मैं उस जगह के लिए चाहती हूं. मिसाल के तौर पर, एंट्रेंस को शांति से ध्यान लगाने और सौभाग्य के प्रवेश का स्थान बनाने के लिए मैंने उसे भगवान गणेश की पेंटिंग से अलंकृत किया है. पीतल की बनी एक विशाल, रस्मी करछुली और एक स्लीपिंग बुद्धा इस शुभ व मांगलिक प्रभाव को पूरा करते हैं.
मेरा मानना है कि अगर कोई चीज आपकी नजरों को भा जाए, तो आपको उसे ले लेना चाहिए. क्योंकि अगर उस चीज ने आपके दिल में जगह बना ली है, तो वह आपके घर में जगह निश्चित तौर पर बना ही लेगी.
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