इस लेख में अंशु लोईवाल अपने पति अनुराग लोईवाल के साथ अपने घर को डिज़ाइन करने की यादों को हमारे साथ साझा कर रही हैं. इनका घर इनकी जड़ों से उपजी कुछ अनोखी विशेषताओं को प्रदर्शित करने के साथ ही स्थानीय कलेवरों में भी रंगा है.
अजमेर में अंशु का घर
मेरा बचपन अलाहबाद के मेरे पैतृक घर में एक पारंपरिक पड़ोस में बीता था. मुझे मेरे घर का बगीचा बहुत पसंद था, यहां पर मैंने पढ़ते हुए, शैतानियां करते हुए और खेलते हुए अपना बचपन गुजारा था. इस घर से मेरी बहुत सी खूबसूरत यादें जुड़ी थी और मैंने तय कर लिया था कि शादी के बाद मैं जब दूसरे घर में जाउंगी तो किसी न किसी तरीके से इन यादों को उस घर में भी संजोने का प्रयास करुंगी. किस्मत से शादी के बाद, 2002 में मैं नए शहर अजमेर में शिफ्ट हो गई, यह घर मेयो कॉलेज के पास के अपेक्षाकृत अधिक एलीट एरिया में स्थित था. और उस समय मेरे उत्साह का कोई ठिकाना नहीं रहा, जब मुझे पता चला कि हमने एक बगीचे वाला घर खरीदा है, बिल्कुल वैसा, जैसा मैं चाहती थी. और इसके बाद जब मैं पहली बार अपने पैतृक घर अलाहबाद वापस आई, तो यहां से मैंने अजमेर में अपने बगीचे में लगाने के लिए कमल के फूलों के पौधे ले लिए, मैं जब भी इन्हें देखती हूं तो अपनी जड़ों से जुड़ा हुआ महसूस करती हूं. यह मेरे भूत और वर्तमान को एकाकार करने की शुरुआत थी.
अजमेर में अंशु का बगीचा - एक ऐसी जगह जहां वह पेंट करती है, आराम करती है और अपने गृहनगर से जुड़ी हुई महसूस करती है.
हम अपने नए घर में आ गए और फिर शुरू हुआ इसे डिज़ाइन करने और सजाने का सिलसिला. उस समय मेरी प्राथमिकता यह थी कि हम अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहते हुए आज के समय का आधुनिक घर बनाएं. जब डिज़ाइन करने का समय आया, तो हमने घर की बुनियादी संरचना बनाने के लिए एक वास्तुकार की मदद ली. लेकिन इसके अलावा, अपनी बेटी की मदद से मैंने अपनी रचनात्मकता के माध्यम से घर के हर कोने को सजाया संवारा.
हमारी पहली प्राथमिकता बेशक, लिविंग रूम थी. हम एक ऐसा स्थान चाहते थे जो खुला हो, अच्छी तरह से हवादार हो और जहां प्राकृतिक प्रकाश आता हो, एक ऐसा कमरा जहां हम सभी एक परिवार के रूप में एक साथ समय बिता सकें, मेहमानों का स्वागत कर सकें और जीवन का आनंद ले सकें. इस जगह के केंद्र में मैंने एक सौम्य सोफा सेट और इससे मैच करती एक कॉफी टेबल रखी. हम लोग इस पर अपने पैर फैलाकर आराम करते हैं, हमारे पसंदीदा शो देखते हैं और एक दूसरे के दिन के बारे में जानकारी लेते हैं.
लोईवाल गृह का लिविंग रूम
अपनी रचनात्मकता को स्वतंत्र रूप से अभिव्यकत करने के लिए अपने घर से बेहतर जगह और कोई नहीं हो सकती, और मैं भी इसका अपवाद नहीं थी. मुझे बचपन से ही घर की सजावट में दिलचस्पी थी और यह नया घर मेरे विचारों और प्रयोगों को अभिव्यक्त करने का उत्तम कैनवास था. मैं अजमेर और इसके आस पास, खासकर दीवाली के दिनों में लगने वाली प्रदर्शनियों में जाने का एक भी मौका नहीं छोड़ती और यहीं मुझे घर के लिए विचित्र चीजें मिलती हैं.
मेरे पति की बात करें, तो अनुराग पेशे से सीए है, हमारे घर में ही उनका ऑफिस बनाया हुआ है जिसका प्रवेश द्वार घर से अलग है. चूंकि मैं नौकरी करती हूं और इस सिलसिले में मुझे अक्सर यात्राएं पर रहना पड़ता है, इस स्थिति में उनका घर में ऑफिस होना हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है. वह हमारी बेटियों का ध्यान रखने के लिए हमेशा उपलब्ध होते हैं और उन्हें अपना काम बेहतर तरीके से करने के लिए गोपनीयता भी मिलती है, इसके अलावा यह उनका ऑफिस है, वे इसे जैसे चाहें, सजा सकते हैं. बहुत से पेशेवर यही चाहते हैं कि उनका ऑफिस उनके घर में ही हो, लेकिन एक अलग प्रवेश द्वार/निकास द्वार उन्हें घर लौटने के बाद काम से दूर रखता है.
समय के साथ, हमने तय किया कि हम अपने घर का विस्तार करना चाहते हैं और एक और मंजिल चढ़ाने के लिए लोन लिया. अपने घर को अपनी मर्जी से बनाने की क्षमता अपने आप में एक सशक्त भावना थी.
अंशु द्वारा विभिन्न प्रदर्शनियों से एकत्र की गई कुछ वस्तुएं
मेरे बारे में एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि मुझे पेंटिंग करने का बहुत शौक है, मेरे बाद मेरी छोटी बेटी भी मेरे नक्शे कदमों पर चली है और उसने भी इस शौक को अपनाया है. अपनी भावनाओं को रंगों से दर्शाने में मुझे बहुत सुकून मिलता है, इससे मुझे एहसास होता है कि मैं मैं जो चाहे बना सकती हूं. मेरे लिविंग रूम में मैंने अपनी कुछ पेंटिंग्स लगा रखी हैं. एक विशेष दीवार, जो किशनगढ़ (एशिया का सबसे बड़ा संगमरमर बाजार) के संगमरमर के पत्थरों से सजी है, जो लकड़ी के फ्रेम से घिरी है, पेंटिंग को एक अलग ही तरीके से दर्शाती है.
संगमरमर की दीवार पर सजी, अंशु द्वारा बनाई गई कुछ पेंटिंग्स
एक दिन, मैंने और मेरे पति ने यह विचार किया कि अब बच्चे थोड़े बड़े हो गए हैं, उन्हें अपने कमरे की आवश्यकता होगी, और ज्यादातर छोटी लड़कियों की तरह, उन्हें गुलाबी रंग पसंद आएगा. गुलाबी रंग का यह बेडरूम सिर्फ बच्चों का कमरा मात्र नहीं है, यह एक प्लेस्कूल की तरह है, यहां आपको बुलेटिन बोर्ड, एक खिलौनों का कोना और बच्चों का मन लगाए रखने के लिए एक पुस्तकालय मिलेगा. यह उनकी अपनी जगह है, जो खुशनुमा रोशनी से प्रकाशित है और उन सभी चीजों से भरी है जो उन्हें अच्छी लगती हैं और पसंद हैं.
संगमरमर की दीवार पर सजी, अंशु द्वारा बनाई गई कुछ पेंटिंग्स
एक दिन, मैंने और मेरे पति ने यह विचार किया कि अब बच्चे थोड़े बड़े हो गए हैं, उन्हें अपने कमरे की आवश्यकता होगी, और ज्यादातर छोटी लड़कियों की तरह, उन्हें गुलाबी रंग पसंद आएगा. गुलाबी रंग का यह बेडरूम सिर्फ बच्चों का कमरा मात्र नहीं है, यह एक प्लेस्कूल की तरह है, यहां आपको बुलेटिन बोर्ड, एक खिलौनों का कोना और बच्चों का मन लगाए रखने के लिए एक पुस्तकालय मिलेगा. यह उनकी अपनी जगह है, जो खुशनुमा रोशनी से प्रकाशित है और उन सभी चीजों से भरी है जो उन्हें अच्छी लगती हैं और पसंद हैं.
हमारा घर हमारी पहचान का एक सच्चा प्रतिबिंब है और आनंद का एक निरंतर स्रोत भी है. प्यार, खुशी और गर्मजोशी से भरे ऐसे खूबसूरत माहौल में अपनेपन का अहसास कुछ ऐसा होता है जिसे हम हर एक दिन संजोते हैं.
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