रजनीकांत मीरकर सपनों की नगरी मुंबई में अपना खुद का घर होने की अपनी चाहत के बारे में, उनका परिवार अपने नए घर की इंटीरियर डिज़ाइनिंग के हर पहलू में किस तरह शामिल था और घर को परिवार की जरूरतों के अनुरूप कैसे बनाया गया, इस बारे में बता रहे हैं.
हमारे परिवार का मुंबई के वडाला इलाके की एक पुरानी इमारत में अपना घर था, और हम किसी ऐसे आधुनिक घर पर पैसा लगाना चाह रहे थे जहां जरूरत की सारी सुख-सुविधाएं उपलब्ध हों. आखिर में हमने उसी इलाके में, बस 15 मिनट की पैदल दूरी पर स्थित दोस्ती एम्ब्रोसिया नामक प्रोजेक्ट को चुना, और हम यह देखकर दंग रह गए कि वह कितना सुविधाजनक था.
वैसे तो घर चुनते समय मेरे मन में कई मानदंड थे, पर सबसे महत्वपूर्ण था कि घर में एक बड़ी, हवादार बालकनी हो - एक ऐसी जगह जहां मैं अखबार पढ़ते हुए सुबह की चाय की चुस्कियां ले सकूं या दिन भर की मेहनत के बाद सुस्ता सकूं और शहर को निहार सकूं. रिश्तेदारों के आने पर भी यह बड़े काम आती है, खासतौर पर बच्चों के लिए जो बालकनी में समय बिताना सच में बहुत पसंद करते हैं. असल में बालकनी इस फ्लैट को चुनने के मुख्य कारणों में से एक थी.
श्री रजनीकांत अपनी बालकनी से मुंबई शहर के नजारे का मजा लेते हुए
जैसे ही हम शिफ्ट हुए, परिवार के सभी लोग घर की इंटीरियर डिजाइन के बारे में अपनी राय और सुझाव देने लगे. हमें इसमें लगभग चार महीनों का लंबा समय लगा, लेकिन अंत में यह इतने अच्छे से बना कि हमारा समय और प्रयास बेकार नहीं गया.
सबसे पहले मेरे बेटे के कमरे से शुरू करते हैं. उसने अपने कमरे के बारे में सब कुछ पहले ही तय कर लिया था, स्टडी टेबल कैसी होगी, उसमें कितनी दराजें होंगी और वार्डरोब का डिजाइन कैसा होगा, सब उसके दिमाग में पहले से ही स्पष्ट था. और हमने उसकी पसंद के अनुसार ही उसके कमरे को तैयार किया.
रजनीकांत का बेटा, अपने बेडरूम में अपने सबसे पसंदीदा शौक यानि पढ़ने में समय बिताता हुआ
और फिर बारी थी उस चीज़ की जो हर घर का एक बेहद जरूरी हिस्सा होता है, यानि किचन. इस मामले में सारे फैसले मेरी पत्नी के हाथों में थे. उनके मन यह बात साफ थी कि चाहे ट्रॉली हो या मसाले, किचन के हर सामान तक आसानी से पहुंच होनी चाहिए. हालांकि जगह की कमी किचन में एक बाधा बनकर सामने आई. बिल्डर ने केवल दो प्लेटफॉर्म प्रदान किए थे, तो हमने उसमें एक और जोड़कर “U” शेप वाला किचन प्लेटफॉर्म बनवाने का फैसला लिया. कुछ चीजें वास्तु के हिसाब से भी हैं, जैसे गैस स्टोव जिसका मुख दक्षिण दिशा में है.
किचन, जिसमें तीसरा प्लेटफॉर्म जोड़ा गया है, ट्रॉली सुविधाजनक स्थान पर हैं, और गैस स्टोव वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा की ओर है
महाराष्ट्रियन होने के नाते मैं गणपति जी का बहुत बड़ा भक्त हूं और हर साल सुंदर सी गणेश प्रतिमा स्थापित करके गणेश चतुर्थी मनाता हूं. मैंने इंटीरियर डेकोरेटर से लिविंग रूम के गलियारे में एक कांच की दीवार बनाने को कहा ताकि गणेश चतुर्थी के दौरान वह पृष्ठभूमि का काम कर सके. बाकी के साल इससे घर को एक सुंदर, सुसभ्य पुट मिलता है और इससे जगह भी ज्यादा दिखाई देती है.
मैं चाहता था कि मेरे घर में भरपूर जगह हो. जैसा कि आप सोच सकते हैं, मुंबई जैसे शहर में जहां जिंदगी के हर पहलू में जगह की कमी हमेशा एक बाधा बनकर खड़ी मिलती है, यह घर हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है, और हम यह पक्का कर लेना चाहते थे कि हम घर की एक-एक इंच जगह का इस्तेमाल करें, और घर अस्त-व्यस्त भी न लगे. इस बात को ध्यान में रखते हुए, मुझे जो एक चीज बड़ी पसंद आई वह है बढ़ाई गई दीवार में बनाया गया आला. इससे दो फायदे हैं, एक तो इससे सुंदरता बढ़ती है और दूसरा, हम मौसम के आधार पर या सजावट में बदलाव करने के लिए उस में रखे शो-पीस बदल भी सकते हैं.
दीवार में बना आला, जो शोकेस का काम करता है
मेरी मां हमारे साथ रहती हैं, और उन्हें यहां रहना बहुत अच्छा लगता है क्योंकि यहां उन्हें बहुत सुविधा है. हमने खासतौर पर उनके लिए एक कमरा बनवाया है जो कॉमन बाथरूम के बिल्कुल बगल में है, इससे उन्हें बाथरूम जाने में सुविधा और आसानी होती है. चूंकि वह बुज़ुर्ग हैं, इसलिए इस व्यवस्था से उन्हें आसानी रहती है.
अपने लिविंग रूम में एकांत के कुछ पलों का आनंद लेते हुए श्रीमान और श्रीमती मीरकर जी
हमारे लिए यह घर एक ऐसी जगह है जहां हमें अंदर पहला कदम रखते ही शांति महसूस होती है. यहां इतनी शांति है और अपनेपन का एहसास भी है. यह हमारे घर की सबसे प्यारी बात है जो बाकी सब चीजों से ऊपर है.
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