मुख्य बिंदु
- मोबाइल टॉवर आज पूरे भारत में व्याप्त है.
- इन टॉवरों को आम तौर पर छतों पर लगाया जाता है.
- बिल्डिंगों के मालिक अपने घरों की छतों और मौजूद खाली स्थानों को किराए पर देते हैं, और पैसे कमाते हैं.
- इस क्रिया में कुछ समस्याएं भी है; जिसमें मुख्य है स्वास्थ्य संबंधी खतरे.
- हालांकि अभी तक ऐसा कोई निर्णायक सबूत नहीं मिला है जिस से यह साबित हो सके कि स्वास्थ्य पर इन टॉवरों का बुरा प्रभाव पड़ता है.
- इन टॉवरों को लगाने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए कुछ दिशानिर्देश और मानदंड निर्धारित किए गए हैं.
आज पूरे भारत में जहां देखो वहां मोबाइल टॉवर लगे हुए हैं. आप जहां भी जाएं, आपको हर नुक्कड़ और कोने में उंची बिल्डिंगों या मैदानों पर लगा कोई ना कोई मोबाइल टॉवर दिख ही जाएगा. ये उंची लंबी धातु की संरचनाएं शहरी भारतीय परिवेश का एक अभिन्न हिस्सा बन चुकी हैं. ये वही टॉवर हैं जिनकी वजह से आपके मोबाइल फोन एक दूसरे फोन से संपर्क कर पाते हैं. मोबाइल फोन ऑपरेटर अपने टॉवर को खड़ा करने के लिए अक्सर सहूलियत वाली जगहों को चुनते हैं और छतों को किराए पर लेना उनके लिए एक किफायती विकल्प होता है. भवनों के मालिक इन टॉवर के निर्माण के लिए अपनी छत या खुली जगहों को किराए पर देकर बैठे बिठाए कुछ पैसे कमाने का मौका गंवाना नहीं चाहते हैं. हाउसिंग सोसायटीज़ भी इससे अछूती नहीं हैं.
सोसायटी को अपने परिसर की देखभाल और रखरखाव जैसे कि रोशनी की व्यवस्था, सफाई और सुरक्षा व्यवस्था के लिए धन की आवश्यकता होती है. वे इस पैसे का इंतजाम दो तरीकों से करते हैं, वे सोसायटी में रहने वाले लोगों से कुछ रकम शुल्क के रूप में लेते हैं और बिल्डिंग की कुछ सांझी जगहों को किराए पर देकर पैसे जुटाते हैं.
शहरों में जगह की कीमतें बहुत ज्यादा होती हैं, यही कारण है कि यहां हर इंच जमीन का उपयोग समझदारी से करना पड़ता है; कोशिश यही रहती है कि अगर आपके पास ऐसी जगहों का स्वामित्व है तो इससे अधिक से अधिक पैसा कमाया जाए. यही कारण है कि हाउसिंग सोसाइटीज अपने आम क्षेत्रों को किराए पर लगाने और इससे कुछ धन जुटाने के लिए सदैव आतुर रहती हैं. ऐसा ही एक विकल्प छतों को मोबाइल / टेलीकॉम कंपनियों को किराए पर देना है.
निवासियों की चिंताएं
हालांकि मोबाइल टॉवर राजस्व उत्पन्न करते हैं, लेकिन कई निवासी इन से होने वाले संभावित खतरों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करते हैं. इन खतरों को कई नजरियों से देखा जा सकता है. इन भारी भरकम टॉवरों के कारण बिल्डिंग की संरचना को नुकसान पहुंच सकता है, विशेष रूप से तूफान या चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान ऐसा होने की संभावना अधिक होती है.
अन्य चिंताओं में इन टॉवरों से निकलने वाली विद्युत चुम्बकीय तरंगों के विकिरण द्वारा उत्पन्न स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी शामिल हैं.
मेडिकल रिपोर्ट
एक ओर जहां लोग मोबाइल टॉवरों के कारण मिलने वाले अबाध नेटवर्क की चाह रखते हैं वहीं अगर ये टॉवर उनके अहाते में या उनकी छत पर लगा हो तो वे चिंतित हो जाते हैं. अब तक, मोबाइल टॉवरों से किसी भी स्वास्थ्य समस्या के पैदा होने का वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है. हालांकि, इन टॉवरों से निकलने वाली तरंगों से लोगों का प्राकृतिक जैविक कामकाज प्रभावित होने की संभावना को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है.
बात जब इन मोबाइल टॉवरों से निकलने वाली विद्युत चुम्बकीय तरंगों की आती है, तो लोगों को सबसे बड़ी चिंता कैंसर के जोखिम की होती है. इस प्रमुख चिंता के अलावा, ऐसा माना जाता है कि मोबाइल टॉवरों से निकलने वाली तरंगों के कारण कुछ अन्य छोटी मोटी समस्याएं भी आ सकती है. शरीर की थकान, नींद / स्मृति विकार, जोड़ों में दर्द, सुनने की समस्याएं और यहां तक कि हृदय संबंधी समस्याओं को भी मोबाइल टॉवरों से निकलने वाली विकिरणों से जोड़ कर देखा जा सकता है. हालांकि यहां यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि इन सभी चिंताओं और आशंकाओं के समर्थन में अभी तक कोई चिकित्सकीय प्रमाण उपलब्ध नहीं है.
उद्योग और नियामक संस्थाओं का जवाब
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया, प्रमुख भारतीय टेलीकॉम ऑपरेटरों के उद्योग संघ और दूरसंचार विभाग (DoT) की प्रतिक्रियाएं भी मोबाइल टावरों के कारण होने वाली समस्याओं के समर्थन में निर्णायक सबूतों की कमी की बात मानती है. अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (ACS)1 के अनुसार भी ऐसे कोई प्रमाण नहीं हैं और यह तथ्य कुछ हद तक हमारी चिंताओं को कम कर सकता है. सोसाइटीज़ का कहना है कि, चूंकि मोबाइल टावरों में एंटीना अत्यधिक ऊंचाई पर लगे होते हैं, इसलिए जमीन पर रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर इसका दुष्प्रभाव होना लगभग नामुमकिन है. और चूंकि ये टावर रुक-रुक के तरंगें स्त्रावित करते हैं, इसलिए व्यापक खतरों की संभावना क्षीण होती है. कैंसर की संभावना के मामले में, ACS का मानना है कि अन्य कैंसरकारक तरंगों जैसे कि गामा किरणों, एक्स-रे और यूवी किरणों के मुकाबले मोबाइल तरंगों का ऊर्जा का स्तर अपेक्षाकृत कम होता है और नतीजतन कैंसर की संभावना भी कम हो जाती है.
भारत में इस संदर्भ में वर्तमान नियम
भारत सरकार का दूरसंचार विभाग (DoT) भारत में मोबाइल टावरों के निर्माण के लिए मॉडल मानदंड और दिशानिर्देश2 जारी करता है. राज्य सरकारों और नगरपालिकाओं से यह अपेक्षा की जाती है कि वे इन मॉडल दिशानिर्देशों के आधार पर स्थानीय स्तर पर सटीक मानदंड निर्धारित करें. टावरों के बीच की दूरी, इमारतों के पास एंटीना की ऊंचाई और स्थान, विद्युत चुम्बकीय उत्सर्जन मानदंड आदि के संबंध में मानदंड बनाए गए हैं. DoT के तहत काम करने वाला दूरसंचार प्रवर्तन संसाधन और निगरानी विभाग (TERM) इन टावरों के विकिरण संबंधी तकनीकी पहलुओं के लिए उत्तरदायी होता है.
आपको क्या करना चाहिए?
वैज्ञानिक निष्कर्षों के बावजूद, मोबाइल टॉवरों के संदर्भ में सतर्कता बनाए रखना ही समझदारी है. मानदंडों और दिशानिर्देशों का पालन करना, इन टॉवरों से सुरक्षित दूरी बनाए रखना आदि स्वास्थ्य चिंताओं के निवारण में मददगार रहता है. आपको, इन टॉवरों से हो सकने वाले स्वास्थ्य जोखिमों और मोबाइल टॉवरों से होने वाली आय, दोनों के बीच संतुलन स्थापित करना है.
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