मुख्य बिंदु
- अब तक निम्नलिखित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने नियम अधिसूचित कर दिए हैं - आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दमन और दीव, दादरा और दीव नगर हवेली, लक्षद्वीप और दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र. शेष राज्य भी नियम अधिसूचित करने की प्रक्रिया में हैं.
- यह एक्ट वर्तमान और अगामी सभी कमर्शियल और रेजिडेंशियल प्रोजेक्टों पर लागू होगा.
- कस्टमर्स से प्राप्त एडवांस राशि का 70 प्रतिशत एक अलग और इसी उद्धेश्य के लिए बनाए गए प्रोजेक्ट अकाउंट में जमा किया जाएगा. इस अकाउंट से निकासी करने के लिए आर्किटेक्ट, CA और परियोजना इंजीनियरों की अनुमति आवश्यक होगी. इससे यह सुनिश्चित होगा कि कस्टमर्स से प्राप्त एडवांस राशि का उपयोग केवल प्रोजेक्ट के लिए किया जाए और इसका अन्य प्रायोजनों में इस्तेमाल रोका जा सके.
- किसी भी प्रोजेक्ट को विज्ञापित करने या उसे बेचने से पहले प्रमोटरों को उसे आवश्यक रूप से रजिस्टर करवाना होगा. उसे प्रोजेक्ट की जानकारी, कानूनी जानकारी और फाइनेंशियल जानकारियों सहित प्रोजेक्ट के विभिन्न पक्षों और शर्तों की पूरी और सही उद्घोषणा करनी होगी.
- अपार्टमेंट केवल कारपेट एरिया के आधार पर ही बेचे जा सकेंगे.
- अगर प्रोजेक्ट में किसी भी प्रकार का बदलाव किया जाता है या इसे बढ़ाया जाता है तो 2/3rd आवंटियों की सहमति आवश्यक होगी.
- इस एक्ट के तहत, गलत सूचना देने और किसी भी प्रावधान का पालन न करने की स्थिति में, सख्त गाइडलाइन तय की गई है, और इसके लिए पेनल्टी का प्रावधान किया गया है.
- अधिनिर्णय अधिकारी, रियल एस्टेट प्राधिकरण और अपीलीय न्यायाधिकरण को 60 दिनों के भीतर शिकायतों का निपटान करना होगा. इन नियमों में रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेशों का उल्लंघन करने पर कारावास के साथ सजा में समझौते का प्रावधान है जिसके लिए डेवलपर के मामले में प्रोजेक्ट की लागत के 10 प्रतिशत का और आवंटियों व एजेंट के मामले में खरीदी गई प्रॉपर्टी की लागत के 10 प्रतिशत का भुगतान करना होता है. उल्लंघन जारी रहने पर 3 वर्ष तक के कारावास की सजा मिल सकती है.
- प्रॉपर्टी बेचने के लिए किसी भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकेगा.
- देरियों के लिए खरीदारों और प्रमोटर, दोनों को समान दर पर दंड ब्याज चुकानी होगी. देरी के मामले में, प्रमोटर को भारतीय स्टेट बैंक की उधार देने की सर्वोच्च सीमांत लागत दर और 2 प्रतिशत के योग के बराबर की ब्याज दर, उसके देय हो जाने के 45 दिनों के भीतर चुकानी होगी.
- 5 वर्ष की अवधि तक संरचना संबंधी दोष ठीक किए जाने होंगे.
- अधिकांश यूनिट आवंटित हो जाने के 3 महीने के अंदर आवंटी संघ का गठन अनिवार्य होगा.
रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, जो घर खरीदने वालों के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया है, को राज्य सभा ने 10 मार्च, 2016 को तथा लोक सभा ने 15 मार्च, 2016 को पारित किया था. 01 मई, 2017 को केंद्रीय आवास एवं शहरी निर्धनता उन्मूलन मंत्रालय ने सभी 92 धाराएं अधिसूचित कर दीं और लगभग 9-वर्ष के इंतजार के बाद रियल एस्टेट एक्ट प्रभावी हो गया जिसके साथ भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में एक नए युग का सूत्रपात हुआ है.
इस नियम के तहत, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्राधिकरण की स्थापना करना अनिवार्य था; हालांकि अब तक केवल निम्नलिखित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ही नियमों को अधिसूचित किया है - आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, चंडीगढ़, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, दमन व दीव, दादरा व नगर हवेली, लक्षद्वीप और दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र. शेष राज्य नियम अधिसूचित करने की प्रक्रिया में हैं. राज्य सरकारों को नियम स्वयं अधिसूचित करने हैं; हालांकि वे आवास एवं शहरी निर्धनता उन्मूलन (HUPA) मंत्रालय द्वारा अपनाए गए नियमों की विशेषताएं ले सकते हैं.
प्रयोज्यता
एक्ट के लागू होने के दायरे को बढ़ाकर इसमें कमर्शियल और रेज़िडेंशियल रियल एस्टेट को शामिल किया गया है (भूखंड विकास भी शामिल). साथ ही, इस समय जारी जिन प्रोजेक्ट को कम्प्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिले हैं उन्हें भी एक्ट के दायरे में लाया गया है और ऐसे प्रोजेक्ट को तीन महीने के अंदर नियामक के पास रजिस्टर किया जाना होगा. यह एक्ट नवीकरण, मरम्मत या पुनर्विकास के ऐसे प्रोजेक्ट पर लागू नहीं होगा जिसमें मार्केटिंग, विज्ञापन, बिक्री और नया आवंटन शामिल नहीं है.
500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल या 8 से अधिक अपार्टमेंट वाले सभी रेज़िडेंशियल प्रोजेक्ट को प्राधिकरण के यहां रजिस्टर कराना होगा; इससे सुनिश्चित होगा कि स्थानीय प्रमोटर के छोटे प्रोजेक्ट भी एक्ट के दायरे में आ जाएं.
अलग प्रोजेक्ट अकाउंट
यह एक्ट प्रमोटर के लिए कस्टमर से प्राप्त अग्रिम राशियों या प्रोजेक्ट फंड के 70 प्रतिशत को एक अलग प्रोजेक्ट अकाउंट में जमा करना अनिवार्य करता है ताकि इन फंड का उपयोग जमीन खरीदने और संबंधित प्रोजेक्ट के निर्माण में किया जा सके. अकाउंट से निकासियों को प्रोजेक्ट इंजीनियर, आर्किटेक्ट और चार्टर्ड अकाउंटेंट का प्रमाणन चाहिए होगा और इन अकाउंट का हर फाइनेंशियल वर्ष ऑडिट होगा और उसकी कॉपी प्राधिकरण के पास जमा करानी होगी. इस व्यवस्था से सुनिश्चित होता है कि कस्टमर से प्राप्त अग्रिम राशियों को किसी अन्य प्रोजेक्ट के विकास में न लगा दिया जाए और प्रमोटर, फंड की कमी के कारण प्रोजेक्ट में देरी न करें. गैर-अनुपालन के मामले में एक्ट ने कठोर फाइनेंशियल पेनल्टी की व्यवस्था की है, जिसमें प्रमोटर द्वारा खरीदारों को गलत स्टेटमेंट के लिए प्रॉपर्टी की लागत के पूरे दोहराव के साथ ब्याज सहित भरपाई देना और प्रोजेक्ट अकाउंट फ्रीज कर देना शामिल है.
प्रोजेक्ट विवरण की पूर्ण उद्घोषणा
खरीदारों के हितो की रक्षा करने के लिए, इस एक्ट में पारदर्शिता पर सबसे अधिक जोर दिया गया है. प्रमोटर के लिए मौजूदा और नए प्रोजेक्ट को लॉन्च करने या उसका विज्ञापन करने से पहले उसे प्राधिकरण में रजिस्टर कराना आवश्यक है (एक ही प्रोजेक्ट के अलग-अलग चरणों के लिए अलग रजिस्ट्रेशन). रजिस्ट्रेशन के अतिरिक्त, प्रमोटर के लिए पिछले 5 वर्षों में लिए गए प्रोजेक्ट के विवरण की दृष्टि से ‘संपूर्ण और सत्य’ प्रकटन प्रदान करना आवश्यक है जिसमें समय-सीमाएं और देरियों के कारण, अप्रूवल और कमेंसमेंट (आरंभ) सर्टिफिकेट की कॉपी, मंजूर प्लान और लेआउट, विकास कार्यों की समय-सारणी, अलॉटमेंट लेटर का प्रोफॉर्मा, सेल एग्रीमेंट और कन्वेयेंस डीड (हस्तांतरण विलेख), भूमि स्वामित्व और निर्माण इंश्योरेंस, अपार्टमेंट के कारपेट एरिया और बुक हो चुके अपार्टमेंट की संख्या शामिल है. प्रमोटर के लिए सभी रियल्टी प्रोजेक्ट में ज्यादा पारदर्शिता लाने और खरीदारों के हितों की सुरक्षा करने के लिए रियल एस्टेट एजेंट, कॉन्ट्रेक्टर, आर्किटेक्ट, और स्ट्रक्चरल इंजीनियर के नाम व पते प्रकट करने भी आवश्यक हैं.
खरीदारों को देरी से बचाने के लिए यह एक्ट यह निर्दिष्ट करता है कि प्रमोटर के लिए एक एफिडेविट द्वारा समर्थित एक घोषणा प्रदान करनी आवश्यक है जिसमें कहा गया हो कि उसके पास भूमि का कानूनी स्वामित्व है; यह कि भूमि सभी ऋणभारों से मुक्त है; यह कि समय-सीमाओं का पालन किया जाएगा, और यह कि कस्टमर से प्राप्त अग्रिम राशियों के 70 प्रतिशत को प्रोजेक्ट अकाउंट में डिपॉजिट किया जाएगा. एक्ट ने प्रोजेक्ट सौंपने में होने वाली देरी के लिए प्रमोटर को बराबर का देनदार बनाया है, जिससे खरीदारों के हितों की रक्षा हुई है. एक्ट कहता है कि यदि प्रोजेक्ट में कोई देरी होती है, तो प्रमोटर को निर्धारित ब्याज/मुआवजा चुकाना होगा.
कारपेट एरिया
एक्ट ने अपार्टमेंट की बिक्री केवल कारपेट-एरिया के आधार पर करना अनिवार्य कर दिया है और बिल्ट-अप व सुपर बिल्ट-अप एरिया के आधार पर बिक्री करने की वर्तमान परिपाटी पर रोक लगा दी है. एक्ट यह निर्दिष्ट करता है कि कारपेट एरिया में 5 प्रतिशत से अधिक की कमी होने पर, प्रमोटर को यथानुपाती राशि खरीदार को लौटानी होगी; हालांकि कारपेट एरिया में वृद्धि होने की स्थिति में खरीदार को प्रमोटर को कोई अतिरिक्त राशि नहीं चुकानी होगी.
बदलाव और बढ़ोत्तरी
आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि प्रमोटर, खरीदारों को सूचित किए बिना प्रोजेक्ट में वर्धन या परिवर्तन कर देते हैं. खरीदारों को इस परिपाटी से सुरक्षित रखने के लिए, एक्ट ने कुछ दिशानिर्देश तय किए हैं जिसमें डिजाइन या संरचना में मामूली बदलाव होने की स्थिति में उसे आर्किटेक्ट या इंजीनियर से प्रमाणित करवाना होगा और आवंटियों को उसके बारे में सूचित किया जाना होगा. डिजाइन या संरचना में कोई बड़ा बदलाव किए जाने की स्थिति में, उस पर उस बदलाव से प्रभावित होने वाले सभी आवंटियों की मंजूरी चाहिए होगी. अन्य किसी बदलाव की स्थिति में 2/3rd आवंटियों की सहमति जरूरी है.
अपराध और पेनल्टी
- प्राधिकरण के पास प्रोजेक्ट रजिस्टर नहीं कराने पर प्रमोटर को प्रोजेक्ट की लागत के 10 प्रतिशत तक का भुगतान करना होगा; और चूक जारी रहने पर प्रमोटर को 3 वर्षों के कारावास की सजा मिल सकती है.
- रियल एस्टेट एजेंट का रजिस्ट्रेशन नहीं होने की स्थिति में ₹ 10,000 प्रतिदिन की दर से पेनल्टी लगेगी जो प्रॉपर्टी की लागत के 5 प्रतिशत तक जा सकती है.
- प्रमोटर द्वारा रजिस्ट्रेशन की एप्लीकेशन में झूठी जानकारी दिए जाने की स्थिति में, प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत के 5 प्रतिशत तक की पेनल्टी लगेगी.
- एक्ट के किसी उपबंध का अनुपालन नहीं करने पर, प्रमोटर पर प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत के 5 प्रतिशत तक की और एजेंट पर प्रॉपर्टी की लागत के 5 प्रतिशत तक की पेनल्टी लगेगी.
- प्राधिकरण के किसी आदेश का अनुपालन नहीं करने पर, प्रमोटर पर प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत के 5 प्रतिशत तक की और एजेंट तथा आवंटी पर प्रॉपर्टी की लागत के 5 प्रतिशत तक की पेनल्टी लगेगी.
- अपीलेट ट्रिब्युनल के आदेश का अनुपालन नहीं करने पर, प्रमोटर पर प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत के 10 प्रतिशत तक की पेनल्टी लगेगी या उसे तीन वर्षों तक के कारावास की सजा मिल सकती है, और एजेंट तथा आवंटी पर प्रॉपर्टी की लागत के 10 प्रतिशत तक की पेनल्टी लगेगी या उसे एक वर्ष तक के कारावास की सजा मिल सकती है.
शिकायत के निवारण की प्रक्रिया
एक्ट यह आवश्यक करता है कि उपयुक्त सरकार को रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना 01 मई, 2018 तक कर लेनी चाहिए. अधिनिर्णय अधिकारी, रियल एस्टेट प्राधिकरण और अपीलीय न्यायाधिकरण को 60 दिनों के भीतर शिकायतों का निपटान करना होगा. यदि प्रमोटर न्यायाधिकरण के पास जाता है, तो पेनल्टी की राशि के 30 को, या जो भी अधिक प्रतिशत निर्धारित किया जा सकता हो उसे डिपॉजिट करने के बाद ही अपील सुनी जाएगी.
अन्य प्रावधान
- नए नियमों के अनुसार, प्रॉपर्टी बेचने के मामले में किसी भी आधार पर भेदभाव करने की अनुमति नहीं है.
- प्रमोटर 2/3rd आवंटियों और प्राधिकरण से अग्रिम सहमति प्राप्त किए बिना प्रोजेक्ट से संबंधित उसके बहुमतांश अधिकार और दायित्व किसी तृतीय पक्ष को हस्तांतरित या समनुदेशित नहीं करेगा.
- यदि प्रमोटर परस्पर सम्मत नियमों के अनुसार, या रजिस्ट्रेशन रद्द किए जाने के कारण, कब्जा देने में विफल रहता है तो उस पर प्राप्त राशि को निर्धारित ब्याज समेत लौटाने की देनदारी होगी. आमतौर पर यह भारतीय स्टेट बैंक की उधार देने की सर्वोच्च सीमांत लागत दर और 2 प्रतिशत के योग के बराबर होगी.
- सरंचना में किसी भी दोष, या कर्मकौशल, गुणवत्ता या सेवाओं के प्रावधान में कोई अन्य दोष, या सेल एग्रीमेंट के अनुसार प्रमोटर के किसी अन्य दायित्व, जिसे कब्जे के 5 वर्ष के अंदर प्रमोटर के संज्ञान में लाया गया हो, को प्रमोटर को 30 दिनों के अंदर निःशुल्क ठीक कराना होगा.
- लिखित सेल एग्रीमेंट निष्पादित करने से पहले प्रमोटर द्वारा जो अधिकतम एडवांस/एप्लीकेशन फीस ली जा सकती है वह अपार्टमेंट की लागत का 10 प्रतिशत होगी.
- अधिकांश यूनिट/प्रॉपर्टी के आवंटन के तीन महीनों के अंदर एक आवंटी संघ का गठन करना अनिवार्य किया गया है ताकि निवासी साझी सुविधाओं का प्रबंधन कर सकें.
निष्कर्ष
एक्ट यह आवश्यक करता है कि उपयुक्त सरकार को रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना 01 मई, 2018 तक कर लेनी चाहिए. अधिनिर्णय अधिकारी, रियल एस्टेट प्राधिकरण और अपीलीय न्यायाधिकरण को 60 दिनों के भीतर शिकायतों का निपटान करना होगा. यदि प्रमोटर न्यायाधिकरण के पास जाता है, तो पेनल्टी की राशि के 30 को, या जो भी अधिक प्रतिशत निर्धारित किया जा सकता हो उसे डिपॉजिट करने के बाद ही अपील सुनी जाएगी.
इसे भी पढ़ें - MahaRERA क्या है
होम लोन संबंधी कैलकुलेशन अपने घर का प्लान बनाना आसान कर देती है
मिस कॉल
नए होम लोन के लिए मिस्ड कॉल दें
- 09289200017