चेन्नई मेट्रो को शहर में बढ़ती यातायात समस्याओं के लिए एक तेज, विश्वसनीय, सुविधाजनक, आधुनिक और किफायती सार्वजनिक परिवहन समाधान के रूप में निर्धारित किया गया था. जिस गति से चेन्नई महानगर का विस्तार हो रहा है, उससे एक ऐसे रैपिड पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (सार्वजनिक परिवहन प्रणाली) बनाना अत्यंत आवश्यक हो गया है जो शहर के एक छोर से दूसरे छोर तक आसानी से पहुंच सुविधा प्रदान करे. प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए तमिलनाडु सरकार ने एक स्पेशल पर्पज व्हीकल - चेन्नई मेट्रो रेल लिमिटेड बनाया. अन्य प्रकार की सार्वजनिक और निजी ट्रांसपोर्ट सिस्टम्स को एकीकृत करने वाली शायद यह भारत की पहली मेट्रो होगी.
ट्रांजिट सुविधा - अन्य ट्रांसपोर्ट सिस्टम्स के साथ एकीकरण
- सबअर्बन रेलवे: वाशरमेनपेट, चेन्नई फोर्ट, चेन्नई पार्क, चेन्नई सेंट्रल, एग्मोर, गुइंडी, मीनांबक्कम और सेंट थॉमस माउंट.
- मास रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम: चेन्नई फोर्ट, पार्क टाउन और सेंट थॉमस माउंट.
- बस टर्मिनल: ब्रॉडवे, चेन्नई सेंट्रल, एग्मोर, अन्ना नगर, CMBT, वडापलानी, अशोक नगर, DMS, सैदापेट, गुइंडी और सेंट थॉमस माउंट.
- इंटरनेशनल एयरपोर्ट
- भारतीय रेलवे: चेन्नई सेंट्रल और एग्मोर
- स्टेट एक्सप्रेस ट्रांसपोर्ट: CMBT, वडापलानी और गुइंडी
- चेन्नई कांट्रैक्ट कैरिज बस टर्मिनल: कोयम्बेडु
रूट का विवरण
चेन्नई मेट्रो का 1 खंड - जो कोयम्बेडु से अलंदुर (7 स्टेशन) तक 10 किलोमीटर की दूरी तय करता है, चालू हो गया है. 7 स्टेशन जो चालू हो गए हैं, वे हैं कोयम्बेडु, चेन्नई मोफुसिल बस टर्मिनल, अरुंबक्कम, वडापलानी, अशोक नगर, एकट्टुथंगल और अलंदुर. पूरा होने पर इस प्रोजेक्ट में दो लाइनों वाले 32 स्टेशन शामिल होंगे; जिसमें से 20 स्टेशन अंडरग्राउंड और 12 एलिवेटेड होंगे.
रियल एस्टेट - प्रभाव
पिछले कुछ वर्षों में कॉरिडोर्स के आसपास तथा प्रभाव वाले इलाकों में, बेहतर कनेक्टिविटी और कम ट्रैफ़िक के कारण कीमतों तथा किरायों में मज़बूती से वृद्धि हुई है. चूंकि सिटी सेंटर और शहर के अन्य हिस्सों में यात्रा आसान हो गई है, अतः इन उपनगरीय क्षेत्रों की मांग बढ़ गई है; जिससे डेवलपर्स इन इलाकों में बड़ी संख्या में नए रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स शुरू करने के लिए प्रेरित हुए. मेट्रो ने कॉमर्शियल और रिटेल डेवेलपमेंट भी तेज किया है, जिससे इन माइक्रो-मार्केट्स के पूरे सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर (सामाजिक बुनियादी ढांचे) में कुल सुधार हुआ है. उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में पूंजीगत मूल्यों के साथ-साथ मेट्रो के प्रभाव वाले इलाकों में पूंजीगत तथा किराया कीमतों में पिछले एक-दो वर्षों में 15 से 20 प्रतिशत की लगातार वृद्धि हुई है और पूरा मेट्रो पूरा होने के साथ कीमतें अभी आगे और भी बढ़ेंगी.
मेट्रो और कॉमर्शियल डेवेलपमेंट, रेंटल प्रापर्टी तथा निवेशक वर्ग की भी मांग बढ़ाएगा.
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