मुख्य बिंदु

  • – एक अच्छा बिल्डर चुनें; बिल्डर की निम्न बातों पर विचार करें –
    • अनुभव और ट्रैक रिकॉर्ड
    • प्रतिष्ठा
    • फाइनेंशियल हेल्थ
    • क़ानूनी स्थिति
  • – एक उचित बिल्डिंग चुनें; इन बातों पर विचार करें –
    • बिल्डिंग की लोकेशन और पहुंच
    • पास-पड़ोस
    • उपयोगी सेवाओं (यूटिलिटीज़) का होना
    • बिल्डर द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं और साधन
    • मूल्य और पेमेन्ट का स्ट्रक्चर
    • यह निर्माणाधीन है या कब्ज़ा मिलने के लिए तैयार है
    • प्रापर्टी पर होम लोन की उपलब्धता
  • – पक्का करें कि डॉक्युमेंटेशन पूरा हो गया है

अपने घर का मालिक बनना किसी भी व्यक्ति के लिए संभवतः सबसे बड़ा सपना होता है. यह न केवल रुपयों-पैसों के मामले में बड़ा है, बल्कि उस भावनात्मक मूल्य के मामले में भी, जो यह प्रदान करता है. अपना घर होना, मकान मालिकों और किराया अनुबंधों से, हर कुछ साल बाद घर बदलने के झंझट से आज़ादी दिलाता है. और सबसे खास बात ये कि अपना घर एक उपलब्धि और सामाजिक रुतबे का अहसास देता है. जहां अपना घर होने का महत्त्व इतना अधिक है, वहीं आपको यह पक्का करने की ज़रूरत है कि घर खरीदने का फैसला आपने सावधानी से जांच करके, योजना बनाकर और उस पर अमल करते हुए किया हो. अगर आप किसी बिल्डर/डिवेलपर से घर खरीदने की सोच रहे हैं, तो आपको नीचे दी खास बातों का ध्यान रखना चाहिए:

बिल्डर और बिल्डिंग- यही दोनों चीज़ें मायने रखती हैं

ये दो बड़े पहलू हैं जिन पर आपको फोकस करना होगा - 1 अच्छे मैटैरियल्स से बना वेल-प्लांड कंस्ट्रक्शन और 2 किसी प्रतिष्ठित बिल्डर से की गई खरीद.

बिल्डर कैसे चुनें

घर का मालिक बनने के आपके सपने को पूरा कर सकने के लिए एक अच्छा बिल्डर चुनना बहुत ही महत्वपूर्ण है. बिल्डर का मूल्यांकन करते समय आपको निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिएं:

अनुभव और ट्रैक रिकॉर्ड

यह स्वाभाविक बात है कि आप अपने घर को किसी अनुभवहीन बिल्डर द्वारा बनाने का जोखिम नहीं उठाना चाहेंगे. पता करें कि बिल्डर कब से कारोबार कर रहा है, उसने कितने प्रोजेक्ट पूरे किए हैं, आदि.

प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता

लंबे समय से कारोबार में होना ही काफी नहीं होता; बिल्डर को ग्राहकों का भरोसा और विश्वास हासिल होना चाहिए. डिलीवरी, क्वॉलिटी, सुख-सुविधाओं आदि के वादे पूरे करना मायने रखता है. आपको यह भी पता लगाना होगा कि क्या उसके ऑफर वाकई भरोसे के लायक हैं; कुछ बिल्डर्स कस्टमर्स को लुभाने के लिए बहुत लंबे-चौड़े वादे करते हैं, लेकिन बाद में पीछे हट जाते हैं.

फाइनेंशियल हेल्थ

बिल्डर को ओवर-लीवरेज्ड नहीं होना चाहिए. आपको जांचना होगा कि क्या प्रोजेक्ट किसी प्रतिष्ठित फाइनांसर द्वारा फुली फंडेड है या कम से कम प्रोत्साहित है कि नहीं. यह भी चैक करें कि क्या पहले अपने लोन न चुका पाने की वजह से डेवेलपर चर्चा में तो नहीं रहा है, जिससे उसके लिए आगे फाइनेंसिंग बहुत मुश्किल हो जाएगी.

क़ानूनी स्थिति

आपको यह भी पक्का करना होगा कि आपका बिल्डर, अपने बिजनेस के संबंध में कानूनी पचड़ों में, या अन्य पारिवारिक/फाइनेंशियल समस्याओं में न घिरा हो. कोर्ट की कार्यवाही, उसके बिजनेस की गतिविधियों में बड़ी रूकावटें डाल सकती हैं और इससे प्रोजेक्ट में देरी हो सकती है.

प्रापर्टी कैसे चुनें

अपनी ज़रूरतों के अनुरूप सही घर का पता लगाना वह दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है जिस पर आपको ध्यान देना होगा. विचार करने लायक कुछ खास बातें यहां दी गई हैं:

लोकेशन और पहुंच:

प्रापर्टी ऐसी जगहों के पास होनी चाहिए जहां आपका अक्सर आना-जाना होता हो. स्कूल/कॉलेज, ऑफिस, अस्पताल, मंदिर आदि ऐसी जगह हो सकती हैं. वह स्थान पब्लिक ट्रांसपोर्ट से भी अच्छी तरह जुड़ा होना चाहिए. पता लगाएं कि क्या प्रापर्टी के आसपास का क्षेत्र किसी भी कंस्ट्रक्शन के लिए नगरपालिका की योजना में तो नहीं शामिल है, जैसे कि सड़क का चौड़ीकरण, फ्लाईओवर निर्माण आदि, जिससे बाद में जमीन अधिग्रहण की स्थिति बन सकती है.

प्रापर्टी खरीदने के लिए सर्वोत्तम जगह:

प्रापर्टी कब खरीदें, यह उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना कि यह कि कहां खरीदें. आपका परिवेश आपके घर के इंटीरियर्स जितना ही मायने रखता है. प्रापर्टी के आसपास कूड़े का डंपिंग ग्राउंड, फैक्ट्री या कोई ऐसा क्षेत्र नहीं होना चाहिए जो प्रदूषण करता हो. इसके अलावा पड़ोस का वातावरण सुरक्षित हो, और कोई असामाजिक तत्व, झुग्गी-झोपड़ी आदि न हों.

उपयोगिताएं:

पक्का करें कि आपके घर में आगे चलकर गैस पाइपलाइन, बिजली और पीने के पानी जैसी सभी सुविधाएं अच्छी तरह से दी जाएंगी. इनमें से कुछ बुनियादी ज़रूरतें हैं और आपको बाद में इन ज़रूरी चीज़ों के मामले में समझौता करना बहुत मुश्किल हो सकता है.

सुविधाएं और साधन:

प्रापर्टी या कॉम्प्लेक्स में बिल्डर द्वारा दी जा रही सुविधाएं देखें. रिजर्व्ड कार पार्किंग, सिक्योरिटी, वॉकिंग ट्रैक, बच्चों के लिए प्ले एरिया, क्लब हाउस और स्विमिंग पूल कुछ अपेक्षित सुविधाएं हैं.

मूल्य और पेमेन्ट का स्ट्रक्चर:

यह बहुत महत्वपूर्ण बात है. याद रखें, आपके पास एक निश्चित बजट है और आपको ऐसी प्रापर्टी खोजनी है जो इससे मैच करती हो. घर की बेसिक कास्ट के अलावा आपको स्टाम्प डि्‌यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस, फ्लोर राइज, मैन्टेनेन्स चार्जेस, पोस्ट-पजेशन एक्सपैंसेज आदि अतिरिक्त कॉस्ट्‌स पर भी विचार करना होगा. आपको 20:80 सबवेंशन स्कीमों जैसे नए फाइनेंसिंग विकल्पों के अलावा डिस्काउंट और ऑफर्स पर भी विचार करना होगा.

होम लोन के फायदे:

चाहे आपके पास फ्लैट खरीदने के लिए पर्याप्त फंड हो, तो भी आप एक छोटा होम लोन लेने पर विचार कर सकते हैं, जिससे आपको फायदा यह होगा कि लेंडर, आपकी चुनी प्रापर्टी के कानूनी और तकनीकी पहलुओं की मज़बूती की पूरी जांच कर लेगा. कोई प्रापर्टी जिसे होम लोन के लिए ज़रूर डॉक्युमेंट्‌स के आधार पर किसी फाइनेंशियल संस्था द्वारा लेंडिंग के लिए स्वीकार किया जाता है, यह आपको कुछ अधिक कॉन्फिडेंस देता है.

निर्माणाधीन या कब्जे के लिए तैयार प्रापर्टी:

कब्ज़ा लेने के लिए तैयार या निर्माणाधीन प्रापर्टी में से आपकी पसंद कुछ खास बातों पर निर्भर करती है जैसे कि घर की आपकी जरूरत, कीमत, डेवलपर के साथ आपका कम्फर्ट लेवल वगैरह. अगर आपको घर की तुरंत ज़रूरत है, तो आपको तैयार प्रापर्टी ही चुननी होगी. लेकिन तुरंत उपयोगिता और कम जोखिम इन दोनों ही वजहों से ऐसी प्रापर्टी की कीमत आमतौर से निर्माणाधीन की तुलना में अधिक रहती है. निर्माणाधीन प्रापर्टी की पूरे होने की संभावित तारीख, क्वॉलिटी और फिनिश आदि के मामले में एक अनिश्चितता बनी रहती है. इसके अलावा, फिनिश्ड अपार्टमेंट में आप न केवल तुरंत मूव कर सकते हैं, बल्कि EMI का पेमेन्ट भी शुरू कर सकते हैं जिससे आपके कुल ब्याज का बोझ कम हो जाएगा.

Critical aspects of buying a property from  a Developerप्रापर्टी कैसे खरीदें?

बिल्डर और बिल्डिंग पर फैसला कर लेने के बाद, अब आपको डॉक्युमेंट्‌स वेरिफाई कराने होंगे. गलत डॉक्युमेंट्‌स की वजह से आपके लिए जो कानूनी नतीजे निकल सकते हैं, उनको देखते हुए यह बेहद महत्वपूर्ण है. हमारी सलाह है कि इसके लिए आप किसी प्रॉपर्टी वकील की सेवाएं लें. पक्का करें कि बिल्डर ने सभी असली डॉक्युमेंट्‌स दिए हैं. निम्नलिखित डॉक्यूमेंट प्रदान किए जाने चाहिए:

खरीदने से पहले

एप्रूव्ड बिल्डिंग प्लान:

कोई भी बिल्डिंग, संबंधित लोकल बॉडी से एप्रूव्ड होनी चाहिए. यह पंचायत, नगरपालिका या एक शहरी विकास निकाय हो सकता है. साइट पर काम शुरू करने से पहले मंजूरी ली जानी चाहिए और फिनिश्ड बिल्डिंग एप्रूव्ड प्लान के अनुरूप होनी चाहिए. इसलिए बिल्डर से बिल्डिंग का एप्रूव्ड प्लान मांगें.

अलॉटमेंट लेटर:

प्रमोटर या बिल्डर को आपको एक फर्म अलॉटमेंट लेटर प्रदान करना चाहिए जिसमें प्रोजेक्ट का नाम, पता, अपार्टमेंट नंबर आदि दिया गया हो. यह फार्म, आपकी हकदारी का आधार है. आपको यह भी पक्का करना होगा कि प्रोजेक्ट के पूरा होने पर कंस्ट्रक्शन को फ्लैटों में डिवाइड करने के लिए प्रमोटर ने परमीशन ली हुई है.

सेल एग्रीमेंट:

डेवलपर के साथ एक लिखित समझौता करना पक्का करें जिसमें फ्लैट के स्पेसिफिकेशन, और सभी नियम और शर्तें और दोनों में से किसी तरफ से डिफ़ॉल्ट होने की स्थिति में कानूनी पहलू स्पष्ट रूप से बताए गए हों. कीमत संबंधी मामलों, देरी पर मुआवजे, आदि महत्त्वपूर्ण नियम देखें.

NOC:

अगर बिल्डिंग, कलेक्टर की जमीन पर बननी है, तो जिला कलेक्टर से 'नो ऑब्जेक्शन' सर्टिफिकेट लिया जाना चाहिए.

पर्यावरण संबंधित स्वीकृतियां:

अगर प्रोजेक्ट तटीय इलाके या किसी अन्य इकोलॉजिकली सेंसेटिव (पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील) इलाके में है, तो संबंधित अधिकारियों से पर्यावरणीय मंजूरी आवश्यक है. इसके बिना, कंस्ट्रक्शन गैरकानूनी माना जाएगा.

कमेंसमेंट सर्टिफिकेट:

कंस्ट्रक्शन शुरू करने के लिए लोकल बॉडी से एक सर्टिफिकेट लेना चाहिए. प्रमोटर जब सभी आवश्यक मंजूरी हासिल कर लेता है उसके बाद यह उसे जारी किया जाता है.

कन्वर्जन सर्टिफिकेट:

अगर पहले वह जमीन खेती के लायक थी या अन्य उद्देश्यों के लिए मार्क की गई थी, तो प्रमोटर को इसे संबंधित अधिकारियों से आवासीय भूमि में तब्दील करवाना होगा और आपको इसे वेरिफाई करना होगा.

कम्प्लीशन सर्टिंफिकेट:

अगर आप 'कब्जा मिलने के लिए तैयार' प्रापर्टी खरीद रहे हैं, तो आपको कम्प्लीशन सर्टिंफिकेट लेना होगा. यह बताता है कि बिजली, पानी, जल निकासी आदि सभी आवश्यक सुविधाएं तैयार हैं.

खरीदने के बाद

मूल सेल डीड:

सेल इफेक्ट करने के लिए बिल्डर को आपके पक्ष में सेल डीड तैयार करानी होगी. जमीन के अन-डिवाइडेड शेयर (UDS) जिसके लिए आप पात्र हैं, आपको बेचे गए निर्मित क्षेत्र की सीमा, आदि का इस डीड में उल्लेख होगा. इसमें मूल्य, सामान्य क्षेत्रों और सेवाओं आदि का अधिकार भी शामिल होगा.

कब्जे का सर्टिफिकेट:

यह बताता है कि आपको अपार्टमेंट फार्मल तौर पर हैंड ओवर कर दिया गया है. यह बिल्डर द्वारा आपके लिए किए गए सभी कार्यों के पूरा होने का संकेत देता है. अगर आप एक बना-बनाया अपार्टमेंट खरीद रहे हैं, तो खरीदने से पहले आपको ये देखना होगा.

सोसाइटी इनकार्पोरेशन सर्टिफिकेट:

प्रोजेक्ट पूरा हो जाने और निवासी बस जाने पर, ये निवासी मिलकर एक सोसाइटी बनाते हैं, जो बिल्डिंग का एडमिनिस्ट्रेशन देखती है और मैन्टेनेन्स तथा दूसरी चीज़ों को लेकर बिल्डर से कोआर्डिनेट करती है. आपको सोसाइटी इनकार्पोरेशन सर्टिफिकेट की एक कॉपी हासिल करनी होगी और इस सोसाइटी का मेम्बर बनना होगा और शेयर सर्टिफिकेट हासिल करना होगा.

अन्य डॉक्यूमेंट:

घर खरीद लेने के बाद, आपको लोकल बॉडी में हकदारी ट्रांसफर करानी होगी, राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट आदि पर अपना पता बदलना होगा और यूटिलिटी बिलों में अपना नाम कराना होगा.
उपरोक्त डॉक्यूमेंट की लिस्ट सांकेतिक है और लेंडर द्वारा उस क्षेत्र में प्रचलित स्थानीय कानूनों के अनुसार अतिरिक्त डॉक्यूमेंट मांगे जा सकते हैं.

निष्कर्ष

रियल एस्टेट इंडस्ट्री में वर्तमान में कोई उचित रेगुलेशन नहीं होने के कारण, यह बहुत ज़रूरी है कि आप पर्याप्त सतर्कता रखें क्योंकि यह एक बड़ा फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन होता है जिसमें आपकी कमाई और संपत्ति का बड़ा हिस्सा लग जाता है. बिल्डर और बिल्डिंग चुनते समय सावधानी रखना और इसके अलावा, कानूनी सुरक्षा उपायों के लिए उचित डॉक्युमेंटेशन पक्का करने से आपकी होम ओनरशिप आपको जिदंगी भर खुशी देती रहेगी.

किसी बिल्डर से नई प्रापर्टी खरीदने के फायदे और नुकसान

फायदे नुकसान
आपको एक नया घर मिलता है (जिसमें पहले कोई नहीं रहता था) नई प्रापर्टी के मामले में मैन्टेनेन्स चार्ज ज्यादा होता है
आपको पुरानी प्रापर्टी की समस्याओं जैसे कि लीकेज, रिपेयर आदि से नहीं निपटना पड़ता. अगर तय समय के हिसाब से कंस्ट्रक्शन पूरा नहीं हुआ तो प्रापर्टी पर कब्जा मिलने में देरी हो सकती है
निर्माणाधीन प्रापर्टी के मामले में, आपको किश्तों में पेमेन्ट करनी होती है; इसलिए, एकमुश्त बड़ी पेमेन्ट करने का कोई दबाव नहीं रहता बिल्डर वो सुख-सुविधाएं नहीं भी दे सकता है, जिनका उसने वादा किया हो या सब-स्टैंडर्ड किस्म की सुख-सुविधाएं प्रदान कर सकता है
नए कंस्ट्रक्शंस में लेटेस्ट ट्रेंड्‌स वाली सुविधाएं मिलने की संभावना होती है रेगुलेटरी अथॉरिटी न होने की वजह से भारत में रियल एस्टेट सेक्टर में स्टैंडर्डाइजेशन और प्रोफेशनलिज्म नहीं है
अगर प्रोजेक्ट को किसी होम लोन कंपनी ने पहले से मंजूरी दी हुई है तो उस प्रोजेक्ट में प्रापर्टी के लिए लोन लेना आसान हो जाता है  
अगर प्रोजेक्ट को किसी होम लोन कंपनी ने पहले से मंजूरी दी हुई है तो लेंडर ने प्रोजेक्ट और डॉक्युमेंट्‌स का आकलन कराया होगा; इससे आप बिल्डर और प्रोजेक्ट के क्रिडेंशियल को लेकर आश्वस्त हो सकते हैं  

इसे भी पढ़ें - होम लोन एग्रीमेंट

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