कोच्चि, जो कि केरल राज्य का सबसे घनी आबादी वाला शहर और सबसे बड़ा शहरी समूह है, में हाल के समय में तेजी से शहरीकरण और बड़े पैमाने पर कॉमर्शियल विकास हुआ है. स्मार्ट सिटी, फैशन सिटी और वल्लारपदम कंटेनर टर्मिनल जैसे प्रोजेक्ट्स से आर्थिक वृद्धि को और बढ़ावा मिलेगा. आर्थिक विकास के अलावा, कोच्चि अंतरराष्ट्रीय और घरेलू यात्रियों के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है. इन सभी वजहों से ट्रैवल डिमांड में तेजी आई है जिससे मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर दबाव बढ़ा है. शहर के कुछ सबसे व्यस्त कॉरिडोर्स में पीक ऑवर ट्रैफिक की हालत को देखते हुए, कोच्चि क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार करने की आवश्यकता महसूस की गई.
लोगों को सार्वजनिक परिवहन का तेज़, विश्वसनीय, सुविधाजनक और किफायती तरीका प्रदान करने के लिए कोच्चि मेट्रो, राज्य सरकार की पहल है. केरल सरकार ने प्रोजेक्ट लागू करने के लिए एक स्पेशल पर्पज व्हीकल- कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड बनाया. केंद्र सरकार से मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिए मंजूरी पाने वाला कोच्चि पहला टियर -2 शहर था.
रूट का विवरण
अलुवा और पेट्टा के बीच 25.25 किलोमीटर की दूरी तय करने वाला प्रोजेक्ट का प्रथम चरण 01 नवंबर 2016 (केरल गठन दिवस) से चालू हुआ. चालू होने वाले 22 स्टेशन अलुवा, पुलिनचोडु, कंपनीपेडी, अंबट्टकवु, मुट्टोम, उत्तरी कलामासेरी, सीयूएसएटी, पत्थदीपलम, एदपल्ली जंक्शन, चंगमपुझम पार्क, पतरिवाट्टोम, नेहरू स्टेडियम, कलूर, लिसी, एमजी रोड, महाराजा कॉलेज, एर्नाकुलम कॉलेज, एलमकुलम, विटिला मोबिलिटी हब, थायकुडम और पेट्टा हैं.
रियल एस्टेट - प्रभाव
परंपरागत रूप से, अवसरों और विकास की कमी के कारण कोच्चि मार्केट को रियल एस्टेट निवेश हेतु गंतव्य नहीं माना जाता था. हालांकि मेट्रो के चालू होने के बाद स्थिति में बदलाव होने की उम्मीद है. मेट्रो कॉरिडोर कंपनीपेडी, उत्तर कलामस्सेरी, एडापल्ली, पतारीवट्टोम, कलूर, एर्नाकुलम, कदवंतरा और वीथिला जैसे महत्वपूर्ण जंक्शनों को जोड़ता है. प्रोजेक्ट की कमीशनिंग के बाद, भूमि और संपत्ति की कीमतों में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि पहले से ही हो गई है और मेट्रो चालू होने के बाद कीमतों में और वृद्धि होने की उम्मीद है. मांग को पूरा करने के लिए डेवलपर्स ने इन स्थानों में बड़ी संख्या में मल्टी-स्टोरी रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं.
बेहतर कनेक्टिविटी और रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स के लिए मांग से कॉमर्शियल और रिटेल गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है जिससे निवेश परिदृश्य में सुधार होगा. इस प्रकार मेट्रो प्रोजेक्ट से पूरे जोन को सेल्फ-सफीशिएंट (आत्मनिर्भर) माइक्रो-मार्केट्स में बदलने की उम्मीद है.
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