नया घर सच में जिंदगी का एक बेहद बड़ा मौका होता है. अपने सिर पर अपनी खुद की छत का होना आपके और आपके परिवार के लिए बहुत मायने रखता है. नया घर अपने साथ मन की शांति, गर्व, निरंतरता, उपलब्धि, हैसियत और न जाने कितनी ही भावनाएं लेकर आता है. नए घर के साथ जो रोमांच और आनंद जुड़ा होता है वह साफ महसूस होता है.

पर खुशियों के इस वक्त में, फाइनेंशियल बारीकियों, खासतौर पर टैक्स दायित्वों की अनदेखी हो जाना आम बात है इन दायित्वों पर विचार न करने पर ये एक चुनौती बन सकते हैं.

धन प्रबंधन

आपको सबसे पहले तो यह पता करना होगा कि आप अपना नया घर कैसे खरीदेंगे. क्या उसे आपके पुराने घर को बेचकर मिले पैसे से खरीदा जाएगा, जैसा हम में से अधिकतर लोग करते हैं? यदि हां, तो आपको पुराने घर की बिक्री से जुड़े टैक्स नियमों को समझना होगा. हो सकता है कि आपको उस धन पर टैक्स चुकाना पड़े. टैक्स के असर को समझदारी से कैसे संभालें? और जानने के लिए आगे पढ़िए.

पुराने घर की बिक्री पर लगने वाले टैक्स

प्रॉपर्टी की बिक्री पर कैपिटल गेन की गणना पेचीदा हो सकती है. समझदारी इसी में है कि आप किसी योग्य चार्टर्ड अकाउंट या टैक्स परामर्शदाता से पेशेवर सलाह लें हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि आप टैक्स से जुड़ी कुछ बुनियादी अवधारणाओं से खुद को परिचित कर लें.

शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन

आपकी मौजूदा प्रॉपर्टी की बिक्री से होने वाले अभिलाभ (गेन) पर उस अवधि के आधार पर टैक्स लगेगा, जितनी अवधि के लिए वह प्रॉपर्टी आपके पास थी. यदि वह आपके पास 3 साल से कम समय तक आपके पास थी, तो आपके अभिलाभ (गेन) को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) की श्रेणी में रखा जाएगा, और यदि वह आपके पास इससे ज्यादा समय से थी, तो उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) में रखा जाएगा. LTCG की टैक्स दर, इंडेक्सेशन के बाद 20% है, वहीं STCG को आपकी कुल टैक्स योग्य इनकम में जोड़ दिया जाता है और आपकी लागू स्लैब दर के अनुसार टैक्स लिया जाता है.

उपलब्ध कटौतियां

सेल ट्रांजैक्शन करने में आपके कुछ खर्चे हुए होंगे, उनमें से कुछ खर्चों को कैपिटल गेन की गणना से पहले सेल प्राइस में से घटाने की अनुमति होती है, जैसे:

  • ब्रोकरेज
  • स्टांप पेपर की कीमत
  • सोसायटी चार्ज, नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेने में लगे चार्ज, आदि.

अनुभाग 54 के तहत कटौतियां

अपने अभिलाभ (गेन) को LTCG या STCG के रूप में वर्गीकृत कर लेने और अपने टैक्स योग्य कैपिटल गेन की गणना कर लेने के बाद, आपको यह तय करना होगा कि आप टैक्स चुकाना चाहते हैं या कैपिटल गेन टैक्स बचाने के लिए कानूनी अनुमति वाले उपायों का लाभ उठाना चाहते हैं. इनकम टैक्स एक्ट का अनुभाग 54 कुछ विधियां बताता है जिनके द्वारा आप अपने LTCG दायित्व का पुनर्गठन कर सकते हैं. STCG का बेहतर प्रबंधन केवल उसमें से कोई शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस घटाकर किया जा सकता है. इन मामलों में LTCG टैक्स माफ किया जा सकता है:

किसी दूसरे घर की खरीद या निर्माण

अगर आपने कोई प्रॉपर्टी बेची है, तो आप पुराने घर की बिक्री से दो साल के अंदर कोई दूसरा घर खरीदकर या तीन साल के अंदर नए घर का निर्माण करके LTCG टैक्स से बच सकते हैं. अपने LTCG में से जितना आपने नए घर में लगाया है, अनुभाग 54 के तहत, उतने पर से आपको टैक्स छूट मिल जाएगी. आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि आप नए घर को तीन साल के अंदर बेच नहीं सकते हैं. यदि आपको नया घर चुनने के लिए समय चाहिए हो, तो आपको अपने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि से पहले अपनी बिक्री से प्राप्त राशि को किसी बैंक की निर्धारित ‘कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम’ में जमा करना होगा.

कैपिटल गेन बॉन्ड

अगर आप किसी नए घर में निवेश नहीं करना चाहते, तो आप प्रॉपर्टी की बिक्री से छः माह के अंदर निर्धारित बॉन्ड में ₹50लाख तक निवेश करके अनुभाग 54EC के तहत LTCG टैक्स बचा सकते हैं. इन बॉन्ड की अवधि 3 साल होती है और ये सरकारी संस्थानों जैसे REC, NHAI आदि द्वारा जारी किए जाते हैं. अगर आप इन बॉन्ड को तीन साल के अंदर बेचते या बंधक रखते हैं, तो टैक्स छूट आपसे वापस ले ली जाएगी.

हाउस लोन पर उपलब्ध टैक्स लाभ/छूट

अगर आपने कोई घर नहीं बेचा है, पर हाउसिंग लोन लेकर कोई घर खरीदा है या नए सिरे से उसका निर्माण कराया है, तो आप होम लोन पर इन टैक्स कटौतियों का लाभ उठा सकते हैं:

अनुभाग 80C

आप होम लोन रीपेमेंट के मूलधन पर प्रति फाइनेंशियल वर्ष ₹1.50 लाख तक की संचयी लिमिट (जिसमें प्रोविडेंट फंड, इंश्योरेंस प्रीमियम आदि भी शामिल होते हैं) तक कटौती का लाभ उठा सकते हैं.

अनुभाग 24
आपके द्वारा होम लोन पर चुकाया गया ब्याज, आपकी टैक्स-योग्य इनकम में निम्न राशि तक की कटौती करवा सकता है
  • a) यदि घर में खुद रह रहे हैं तो ₹2 लाख
  • b) यदि घर किराये पर दिया है तो असीमित.

जॉइंट होम लोन के मामले में, होम लोन पर उपलब्ध इन टैक्स कटौतियों का लाभ को-एप्लीकेंट अलग-अलग ले सकते हैं, बशर्ते वे प्रॉपर्टी के को-ओनर भी हों और उनमें से प्रत्येक व्यक्ति होम लोन रीपेमेंट में योगदान करता हो. प्रत्येक को-एप्लीकेंट को मिलने वाले टैक्स लाभ की वास्तविक राशि, मूलधन और ब्याज के रीपेमेंट में उसके योगदान के अनुपात में होती है, और वह ऊपर बताई गई लिमिट के अधीन होती है.

निष्कर्ष

प्रॉपर्टी की बिक्री एक बड़ा ट्रांजैक्शन होता है, जिस पर टैक्स अधिकारियों की नजर रहती है. घर की मिल्कियत का पूरा आनंद लेने के लिए अपने टैक्स मामलों को सर्वोपरि महत्व देना सबसे अच्छा रहेगा. यदि जरूरत हो तो टैक्स दायित्व की गणना करने और टैक्स बचाने के लिए किसी पेशेवर की मदद लीजिए.

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