मुख्य बिंदु
- नॉन रैज़ीडेंट इंडियन (NRI) निर्धारित शर्तें पूरी करने पर भारत में अपनी प्रापर्टी खरीद सकते हैं.
- FEMA और इन्कम टैक्स एक्ट के अनुसार अपने रेजिडेंशियल स्टेट्स की जांच करें.
- आप प्रापर्टी खरीदने/बढ़ाने/नवीनीकरण करने/बनाने और जमीन खरीदने के लिए लोन ले सकते हैं
- आपकी गैरमौजूदगी में भारत में आपकी ओर से कार्रवाई करने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी नियुक्त करना उचित है
- EMI पेमेंट्स करने के लिए भारत में आपका एक NRE/NRO खाता होना चाहिए.
- आपको अपने होम लोन की रीपेमेंट पर टैक्स लाभ मिलते हैं
हम में से ज्यादातर लोगों के लिए अपने घर का मालिक होना आराम, सम्मान और स्टेटस की बात होती है. और ऐसे भारतीयों के लिए जो विदेश में रह रहे हैं, भारत में एक घर खरीदना उन्हें अपनी जड़ों से जुड़े रहने और अपनी जन्मभूमि के प्रति अपनेपन का एहसास करवाता है. यही कारण है कि ज्यादातर नॉन रेजीडेंट इंडियन (NRI) भारत में घर खरीदना चाहते हैं. रुपये में गिरावट के कारण करेंसी एडवांटेज NRI लोगों के पक्ष में रहता है जिससे उनकी खरीद क्षमता बढ़ जाती है. इसके अलावा, NRI भारत में अपनी फंडिंग की कमी को पूरा करने के लिए भी होम लोन का लाभ उठा सकते हैं.
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भारत में प्रापर्टी खरीदने के प्रभाव समझने के लिए, आपको अपने रेजिडेंशियल स्टेट्स का आकलन करने की ज़रूरत होती है. विभिन्न कैटैगरी के तहत और विभिन्न कानूनों के तहत रेजिडेंशियल स्टेट्स की अलग-अलग परिभाषाएं हैं यहां प्रत्येक का एक संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
अनिवासी भारतीय (NRI):
यह एक व्यापक शब्द है जो विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों के लिए उपयोग किया जाता है. तकनीकी रूप से, आपको NRI होने के लिए एक वर्ष में एक निश्चित अवधि के लिए बाहर रहना होता है. NRI शब्द को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) और इन्कम टैक्स अधिनियम, 1961 के तहत परिभाषित किया गया है.
फेरा के तहत NRI की परिभाषा:
“भारत से बाहर निवास करने वाले व्यक्ति" का अर्थ है ऐसा व्यक्ति जो भारत का निवासी नहीं है. भारत में निवासी व्यक्ति का अर्थ है, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 182 दिन या उससे अधिक समय तक भारत में रहा हो. इस नियम के अपवाद निम्न हैं:
- नौकरी करने, बिजनेस करने या वोकेशन के लिए या एक अनिश्चित अवधि तक किसी अन्य उद्देश्य के लिए भारत से बाहर रहने वाले व्यक्ति, अप्रवासी भारतीय माने जाते हैं वे विदेश में चाहे कितने भी समय तक रहे हों.
- नौकरी करने, बिजनेस करने या वोकेशन के लिए या एक अनिश्चित अवधि तक किसी अन्य उद्देश्य के लिए भारत में रहने वाले व्यक्ति, भारत में रैज़ीडेंट माने जाते हैं वे भारत में चाहे कितने भी समय तक रहे हों.
इनकम टैक्स एक्ट के तहत NRI की परिभाषाः:
NRI एक ऐसा व्यक्ति है जो भारत में निवासी नहीं है एक व्यक्ति को भारत में निवासी माना जाता है यदि:
- वह पिछले वर्ष के दौरान 182 दिनों या उससे अधिक समय तक भारत में रहा/ रही हो;
- वह पिछले वर्ष के दौरान 60 दिनों या उससे अधिक या पिछले वर्ष के तुरंत पहले के चार वर्षों के दौरान 365 दिन या उससे अधिक समय तक के लिए भारत में रहा/रही हो.
भारत का विदेशी नागरिक (OCI):
यदि आप वर्तमान में भारत के नागरिक नहीं हैं, लेकिन पहले आपके माता-पिता/दादा-दादी/उनके माता-पिता में से कोई भारतीय नागरिक थे, या आपकी शादी किसी भारतीय नागरिक/OCI से हुई है, तो आप OCI के रूप में रजिस्टर करा सकते हैं आप भारत में कुछ विशेषाधिकारों के हकदार हैं जैसे कि लाइफलॉन्ग मल्टीपल-एंट्री वीजा.
NRI/OCI पर लागू प्रापर्टी ओनरशिप के नियम
NRI और OCI को भारत में अचल प्रापर्टी (कृषि भूमि, बागान प्रापर्टी या फार्म हाउस के अलावा) हासिल करने की अनुमति है. हालांकि, यदि आप पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, ईरान, नेपाल या भूटान के नागरिक हैं (और इन देशों को समय-समय पर अधिसूचित किया जा सकता है), तो आपको भारत में प्रापर्टी लेने के लिए पहले भारतीय रिजर्व बैंक से अनुमति की ज़रूरत होती है. NRIs/OCIs के लिए प्रापर्टी की ओनरशिप पर बुनियादी शर्तें और प्रतिबंध विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 1999(FEMA) के तहत निर्धारित किए गए हैं.
NRI के लिए होम लोन:
NRI के लिए अपना घर खरीदने के लिए कई तरह के होम लोन उपलब्ध हैं प्रत्येक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के अपने नियम और नार्म होते हैं. सामान्य गाइड यहां दी गई है:
होम लोन पात्रता मानदंड:
आप सेलरीड पर्सन या सेल्फ-एम्प्लॉयड होने पर होम लोन ले सकते हैं. आप अकेले या सह-आवेदकों के साथ होम लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं जो प्रापर्टी के सह-मालिक हो भी सकते हैं या नहीं भी. हालांकि, सभी सह-मालिक, सह-आवेदक होने चाहिए. आप नया घर, रिसेल में घर खरीदने के लिए, या ऐसे प्लॉट पर अपना घर बनवाने के लिए होम लोन चुन सकते हैं जिसके आप मालिक हों. आप प्लॉट खरीदने, होम इम्प्रूवमेंट और विस्तार के लिए, या भारत में किसी अन्य फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से लिए गए अपने मौजूदा होम लोन को रिफाइनेंस कराने के लिए भी लोन ले सकते हैं.
होम लोन के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट:
होम लोन के लिए अप्लाई करने के लिए ज़रूरी डॉक्युमेंट्स निम्न हैं:
- पहचान, निवास और इनकम का प्रूफ
- वैध पासपोर्ट और वीजा की फोटोकॉपी
- प्रापर्टी अलॉटमेंट लेटर/बॉयर एग्रीमेंट या सेल एग्रीमेंट, अगर प्रापर्टी पहले से शॉर्टलिस्ट है
- सभी आवेदकों की पासपोर्ट साइज़ फोटो
- प्रोसेसिंग फीस का चैक
- पॉवर ऑफ अटॉर्नी, अगर लागू हो
होम लोन प्रोसेस:
होम लोन के लिए अप्लाई करने के लिए, आपको ज़रूरी डॉक्युमेंट्स के साथ सीधे या POA होल्डर के जरिए विधिवत भरा हुआ होम लोन एप्लिकेशन फार्म लेंडर के पास जमा करना होगा.
पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी:
भारत में पावर ऑफ अटॉर्नी (POA) होल्डर के रूप में अपने किसी रिश्तेदार को नियुक्त करना उचित है. POA होल्डर, POA एग्रीमेंट के तहत दिए गए अधिकार के अनुसार आपकी ओर से कार्य करने का हकदार होगा और आपके होम लोन की प्रोसेसिंग/फैसिलिटेटिंग के लिए हर समय खुद आपकी मौजूदगी की ज़रूरत नहीं होगी.
अधिकतम लोन राशि:
आमतौर पर प्रापर्टी के मूल्य का 75% और 90% के बीच लोन के रूप में दिया जाता है शेष रकम आपको खुद लगानी होती है.
अवधि:
आप अपने प्रोफ़ाइल जैसे कि लोन मैच्योरिटी के समय आपकी उम्र, लोन मैच्योरिटी के समय प्रापर्टी की उम्र और अन्य शर्तों के आधार पर अधिकतम 20 वर्ष तक के टर्म का लाभ उठा सकते हैं.
ब्याज दर:
आप एक एडजस्टेबल रेट होम लोन या एक फिक्स्ड रेट लोन (जिसमें ब्याज दर 2 या 3 साल के लिए तय की जाती है, जिसके बाद लोन अपने आप 20 साल अवधि जोड़ते हुए एडजस्टेबल रेट में बदल जाएगा) में से चुन सकते हैं . डिस्बर्स किए गए लोन पर लागू ब्याज दरें लगाई जाएंगी.
हाउसिंग लोन का रीपेमेंट:
यदि आप कोई निर्माणाधीन प्रापर्टी खरीदने की योजना बनाते हैं, तो आपको इसके पूरा होने तक केवल ब्याज पे करना होगा जिसके बाद आप अपनी EMI शुरू कर सकते हैं. हालांकि, यदि आप अपना प्रिंसिपल भी रिपे करना शुरू करना चाहते हैं, तो आप लोन ट्रैंच करने का विकल्प चुन सकते हैं और पूरी EMI पे करना शुरू कर सकते हैं जबकि पूरी तरह से निर्मित प्रापर्टी खरीदने पर, आपकी EMI तुरंत शुरू हो जाएगी. सभी EMI भुगतान, भारत में आपके NRE/NRO बैंक खाते के माध्यम से किए जाने ज़रूरी हैं. बकाया लोन के थोड़े हिस्से या पूरे का अपने स्रोतों से प्रीपेमेंट करने पर कोई पेनल्टी नहीं है. हालांकि, यदि आप भारत में किसी अन्य फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से रिफाइनेंसिंग कराते हैं, तो आपके होम लोन पर प्रीपेमेंट चार्ज लग सकते हैं.
होम लोन के लिए टैक्स में छूट:
यदि आप इन्कम टैक्स की परिभाषा के अनुसार NRI हैं और भारत में अपना इन्कम टैक्स रिटर्न दाखिल करते हैं तो आप अपने होम लोन पर चुकता ब्याज और लोन रीपेमेंट पर टैक्स डिडक्शन के लिए एलिजिबल हैं. अगर घर खाली पड़ा है तो अनुभाग 1.5सी के तहत आप हाउसिंग लोन प्रिंसिपल रीपेमेंट पर ` 80 लाख तक और ब्याज भुगतान पर 2 लाख तक के डिडक्शन के लिए एलिजिबल हैं. अगर इसे किराए पर दिया जाता है, तो देय पूरे ब्याज को छूट के रूप में क्लेम किया जा सकता है.
क्या आप जानते हैं?
- भारत में मौजूद प्रापर्टी खरीदने के लिए आप उस देश में होम लोन एडवाइजरी सर्विसेज का लाभ उठा सकते हैं जहां आप अभी रहते हैं.
- आप एक नया घर खरीदने, रिसेल में घर खरीदने, अपने स्वामित्व वाले प्लॉट पर अपने घर का निर्माण कराने, प्लॉट खरीदने, होम इम्प्रूवमेंट और होम एक्सटेंशन कराने के लिए होम लोन ले सकते हैं.
- अपने कांट्रिब्यूशन या EMI पेमेंट्स के लिए भारत के बाहर से भेजे गए सभी रेमिटेंस, भारत में आपके NRE/NRO बैंक खाते के माध्यम से ही होने ज़रूरी हैं.
- अपना होम लोन डिस्बर्स कराने के लिए आपको भारत में मौजूद होने की ज़रूरत नहीं है आपकी पावर ऑफ अटॉर्नी इसे आपके लिए कर सकती है.
NRI से रैज़ीडेंट इंडियन में परिवर्तन:
आपके स्थायी रूप से भारत लौट आने पर आपका स्टेट्स नॉन रैज़ीडेंट इंडियन से रैज़ीडेंट इंडियन हो जाने के कारण लेंडर आपकी लोन एलिजिबिलिटी और रीपेमेंट कैपेसिटी को फिर से जांच सकता है और रीपेमेंट शेड्यूल रिवाइज कर सकता है. हालांकि इससे कोई बड़ा असर नहीं पड़ता क्योंकि भारत में प्रापर्टी खरीदने के लिए रैज़ीडेंट को पूरी स्वतंत्रता होती है घर में खुद बस जाने पर टैक्स बेनिफिट्स में मामूली बदलाव की संभावना रहती है.
निष्कर्ष
भारत में होम लोन्ज़ की आसान उपलब्धता के कारण NRI, प्रापर्टी में इन्वेस्टमेन्ट का अपना पसंदीदा और सदैव आकर्षक तरीका अपनाकर अपनी मातृभूमि में अपनी संपत्ति बना सकते हैं.
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