मुख्य बिंदु

अपने होम लोन को प्री पे करने से पहले –

  • लक्ष्यों, इमर्जेन्सी आदि के लिए अपनी कैश की जरूरतों पर विचार करें.
  • इन्वेस्टमेन्ट पर मिलने वाली रिटर्न की होम लोन के मूल्य से तुलना करें
  • उच्च दर वाले लोन पहले चुकाएं
  • अपने होम लोन अवधि के स्टेज पर विचार करें
  • प्रीपेमेंट चार्जेस अगर कोई हों, तो उन पर पर विचार करें

हममें से ज़्यादातर लोग कर्ज़ का बोझ उठाने से बचना चाहते हैं. लोन (किसी भी प्रकार का) एक कर्ज होता है जिसे हर कोई आमतौर पर जल्द से जल्द चुकाना चाहता है (प्रीपेमेंट करने, यानि इसके ड्यू होने से पहले पे करने को वरीयता देते हैं). हालांकि, होम लोन को पर्सनल लोन, कार लोन, आदि के समान नहीं माना जाना चाहिए. होम लोन कई ऐसे लाभ प्रदान करता है जो प्रीपेमेंट को निरर्थक साबित कर सकते हैं.

प्रीपेमेंट एक सुविधा है, जो आपकी लोन की अवधि पूरी होने से पहले अपना हाउसिंग लोन (थोड़ा या पूरा) चुकाने की सहूलियत देती है. आमतौर पर कस्टमर सरप्लस फंड होने पर प्रीपेमेंट का ऑप्शन चुनते हैं.

अपने हाउसिंग लोन को प्री पे करने का फैसला करने से पहले सोचने लायक खास बातें.

अपने हाउसिंग लोन को प्रीपे करने से पहले...

  • फंड-स्ट्रैप्ड होने से बचें
  • इन्वेस्टमेन्ट से इनकम पर विचार करें
  • लोन के स्टेज पर विचार करें
  • टैक्स बेनिफिट्‌स छूट जाने पर विचार करें
  • जांचें कि क्या आपको प्रीपेमेंट शुल्क देने होंगे

फंडिंग की आवश्यकताओं

अपने हाउसिंग लोन के प्रीपेमेंट पर विचार करने से पहले, आपको यह पक्का करना होगा कि आपके वित्तीय लक्ष्य जैसे शादी, विदेश यात्रा आदि के लिए आपके पास पर्याप्त पैसे हैं. आपको ऐसी स्थिति में फंसने से बचना चाहिए जिसमें आप अपना होम लोन प्री पे करने के लिए खुद पर बहुत ज्यादा बोझ डाल दें, और नतीजतन आप कोई वित्तीय लक्ष्य पूरा करने की ज़रूरत होने पर पैसों की कमी हो जाए. इसके अलावा, आपको यह भी पक्का करना होगा कि मेडिकल इमर्जेन्सी, या नौकरी छूटने जैसी अप्रत्याशित घटनाओं से लड़ने के लिए भी आपके पास अधिक पैसे मौजूद हों.

इन्वेस्टमेन्ट से इनकम

प्री-पेमेंट की कास्ट को इन्वेस्टमेन्ट से कमाए जा सकने वाले रिटर्न्स से भी करनी चाहिए. यदि आपके पास होम लोन के ब्याज से ज्यादा रिटर्न कमाने के अवसर हों, तो सरप्लस फंड को होम लोन प्रीपे करने में इस्तेमाल करने के बजाय उसका इन्वेस्टमेन्ट करना ज्यादा बेहतर होगा.

होम लोन एक लंबी अवधि का लोन है; आपके होम लोन की लागत की तुलना इन्वेस्टमेंट की तुलना से करना चाहते हैं, इक्विटी इन्वेस्टमेंट पर विचार किया जाना चाहिए. इक्विटी इन्वेस्टमेंट एक लंबी अवधि का इन्वेस्टमेंट होता है जहां इन्वेस्टमेंट की अवधि के साथ जोखिम अनुपात में कमी आती है, इसका अर्थ है आप इक्विटी में जितने अधिक समय के लिए इन्वेस्टमेंट रखेंगे, जोखिम उतना ही कम होता जाएगा.

पिछले 15 वर्षों में, BSE सेंसेक्स ने लगभग 15% का सालाना रिटर्न दिया है. होम लोन पर 9% ब्याज मानते हुए, आपके होम लोन के मूल्य की तुलना लंबी अवधि में इक्विटी इन्वेस्टमेन्ट से की गई है.

होम लोन की ब्याज दरें 9%
टैक्स सेविंग (9% का 30%) 2.7%*
प्रभावी ब्याज दर 6.3%
*सबसे बड़ा कर ब्रैकेट मानते हुए; किराए पर दी प्रापर्टी के मामले में, पूरा ब्याज अमाउंट छूट के रूप में माना गया है, अपने कब्जे में प्रापर्टी वाले मामले में, ब्याज पर टैक्स छूट ₹2लाख तक है. प्रिंसिपल रीपेमेंट पर टैक्स सेविंग (अनुभाग 80 सी के तहत उपलब्ध) पर इस उदाहरण में विचार नहीं किया गया है; यह होम लोन की कास्ट को और कम करेगा
इक्विटी से औसत वार्षिक रिटर्न  15%^
टैक्स शून्य
इक्विटी निवेश से पोस्ट-टैक्स रिटर्न 15%
*पिछले 15 वर्षों में BSE सेंसेक्स द्वारा दिया गया औसत वार्षिक रिटर्न - www.bseindia.com

ऊपर दिए गए सिनैरियो में, इन्वेस्टमेन्ट पर रिटर्न हाउसिंग लोन पर लागू ब्याज दर से अधिक है इसलिए, ऐसे में, हाउसिंग लोन को चुकाने के बजाय सरप्लस फंड्‌स का इन्वेस्टमेन्ट अधिक फायदेमंद रहेगा.

लोन के स्टेज

ब्याज आउटफ्लो में कमी प्रीपेमेंट का मुख्य फायदा है. होम लोन के शुरुआती स्टेज में EMI में ब्याज का हिस्सा सबसे अधिक होता है. इसलिए, मिड-टू-लेट स्टेज में लोन्स के प्रीपेमेंट आपको ब्याज पर बचत का पूरा फायदा नहीं दे सकते. ऐसे में, सरप्लस फंड्‌स का इन्वेस्टमेन्ट करना ही समझदारी है.

ब्याज दर

हाउसिंग लोन सर्विस करने ज्यादा आसान होते हैं - होम लोन पर ब्याज दर आम तौर पर पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड लोन जैसे अन्य लोन पर लगी ब्याज दर से कम होती है, इसलिए, अगर आप कर्ज कम करना चाहते हैं, तो ज्यादा ब्याज वाले लोन पहले चुकाना बेहतर है (न कि हाउसिंग लोन जिसमें ब्याज की दर कम होती है).

होम लोन के लिए टैक्स में छूट

आप हाउसिंग लोन के प्रिंसिपल अमाउंट की रीपेमेंट पर हर फाइनेंशियल ईयर में ₹1.50 लाख तक की टैक्स छूट क्लेम करने के हकदार हैं. आप हाउसिंग लोन्ज़ पर चुकाए गए ब्याज पर भी टैक्स छूट ले सकते हैं (किराए पर दी प्रापर्टी के मामले में, पूरा ब्याज अमाउंट छूट के रूप में माना गया है, अपने कब्जे में प्रापर्टी वाले मामले में, ब्याज पर टैक्स छूट ₹2 लाख तक है). इसके अलावा, 'सभी के लिए आवास' पर सरकार के फोकस की वजह से हाउसिंग लोन पर टैक्स इंसेंटिव आने वाले समय में बढ़ सकते हैं. अपने हाउसिंग लोन के पूरे प्रीपेमेंट पर, आपको ये टैक्स बेनिफिट्‌स मिलने बंद हो जाएंगे; पार्ट प्रीपेमेंट करने पर टैक्स बेनिफिट कम हो जाएगा.

प्रीपेमेंट शुल्क

प्रीपेमेंट की कास्ट समझने के बाद ही अपना होम लोन प्रीपे करने के फैसले पर विचार करें. जहां एडजस्टेबल रेट होम लोन पर कोई प्रीपेमेंट शुल्क नहीं होते, वहीं फिक्स्ड रेट होम लोन पर, लेंडर प्रायः रिफाइनेंस के जरिए यानी कि अपना होम लोन प्रीपे करने के लिए कर्ज़ लेकर प्रीपेड किए जाने वाले अमाउंट पर 2 परसेंट पेनल्टी शुल्क करते हैं. हालांकि अगर आप अपने फंड्‌स से हाउसिंग लोन प्रीपे करते हैं तो कोई प्रीपेमेंट पेनल्टी नहीं लगाई जाती.

निष्कर्ष

हम ज़्यादातर भारतीय लोग कर्ज़ को मुसीबत की जड़ मानते हैं. हालांकि कर्ज़ कम रखना अच्छी बात है, लेकिन हमेशा कर्ज़ से एकदम दूरी भी बड़ी बुद्धिमानी नहीं होती. स्मार्ट तरीके से प्लान करके आप कर्ज को आराम से मैनेज कर सकते हैं. होम लोन लेते समय आपको अपनी रीपेमेंट क्षमता पर विचार करना होगा, इसलिए प्रीपेमेंट अनिवार्य नहीं हो सकता है. अगर कोई बकाया लोन आपको चिंता में डालता है, तो प्रीपेमेंट के बजाय, आप होम लोन का इंश्योरेंस लेने पर विचार कर सकते हैं, जो आपके साथ कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना होने पर आपके आश्रितों को रीपेमेंट की जिम्मेदारी से बचाएगा. सदैव याद रखें, अपने होम लोन को प्रीपे करने की जल्दबाजी में, अपनी लिक्विडिटी से समझौता न करें. पक्का करें कि आपके पास अपने वित्तीय लक्ष्य पूरे करने और इमरजेंसी की ज़रूरतों के लिए पर्याप्त फंड उपलब्ध है.

इसे भी पढ़ें - होम लोन डाउन पेमेंट

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